Dwarkadhish : सखा सुदामा पर द्वारिकाधीश की बड़ी कृपा

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Dwarkadhish सप्तम दिवस पर सुखदेव विदाई फूलों की होली

Dwarkadhish सक्ती । नगर पंचायत बाराद्वार में अष्टोत्तर सहस्त्र 1008 श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के सप्तम दिवस पर सुखदेव विदाई फूलों की होली सुदामा चरित्र का कथा श्रवण कराते हुए व्यासपीठ से कथावाचक गोस्वामी गोविंद बाबा ने कहा कि भगवान दिनांनाम परी पालक कहलाते हैं , दिनों पर दया करना उनका स्वभाव है । तभी तो कहा है की बांके बिहारी तेरे दरबार की अजब गजब तस्वीर देखी है , तुझे देते हुए तो नहीं देखा पर झोली सब की भरती हुई देखी है ।

Dwarkadhish भगवान श्री कृष्ण ने अपने बाल्यकाल के प्रिय सखा सुदामा जी महाराज को अपने जैसा ही ऐश्वर्य वान बना दिया था । यह उद्गार नगर पंचायत बाराद्वार में आयोजित विशाल श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के सातवें दिन व्यास पीठ से गोस्वामी गोविंद बाबा जी ने प्रकट किया उन्होंने श्रोताओं को बताया कि श्री कृष्ण के बाल्यकाल के सखा सुदामा जी थे , जो श्री कृष्ण के साथ सांदीपनि जी महाराज के आश्रम में बाल्यकाल से ही वेदों का अध्ययन कर दीक्षा भी प्राप्त किए थे ।

Dwarkadhish श्री कृष्ण तो द्वारिका के राजा द्वारिकाधीश बन गए किंतु सुदामा जी महाराज दान वृत्ति से अपना जीवन यापन करते थे , प्रिय सखा सुदामा जी पर भगवान की बड़ी कृपा हुई और वे धनधान्य से पूर्ण हुए ।

गोस्वामी गोविंद बाबा जी ने श्रोताओं को विस्तार से वर्णन करते हुए बताया कि कली युग के सभी प्रकार के दोस्त आप और पाप को नाश करने का एक ही उपाय है भगवान नाम संकीर्तन । इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वे अपने जीवन में सत्संग करें और भगवान की भक्ति करें । भक्ति मार्ग का आश्रय लेकर के ही सद्गति या मुक्ति प्राप्त हो सकती है । राजा परीक्षित को भागवत रूपी सत्कर्म आत्मसात करने के कारण ही मोक्ष की प्राप्ति हुई ।


भागवत की कथा तो हर मनुष्य को बार-बार सुनना चाहिए क्योंकि भागवत कथा से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है मनुष्य जीवन के लिए एक अद्भुत प्रेरणा है जिसे आत्मसात कर हम अपने जीवन को धन्य करते हुए समाज और राष्ट्र की सेवा के संकल्प के साथ विशिष्टता की ओर आगे बढ़ सकते हैं , नर सेवा नारायण सेवा ही मनुष्य जीवन का उद्देश्य है।

कथा विराम सातवें दिन की कथा का लाभ हजारों श्रोताओं ने उठाया और भक्ति पूर्ण वातावरण में कथा श्रवण तथा सत्संग लाभ प्राप्त किया

Dwarkadhish आयोजित विशाल 1008 अष्टोत्तर श्रीमद् भागवत कथा को सफल बनाने में बांके बिहारी पवन शर्मा सतीश जिंदल नटवर अग्रवाल विष्णु जिंदल ओमप्रकाश केडिया कैलाश जैजैपुर वाले ओम प्रकाश अग्रवाल नरेश जिंदल पुरुषोत्तम गोविंद राम सिंघानिया महेश कलानोरिया महिला मंडल के पदाधिकारी एवं सदस्यगण राम कृष्ण गौशाला समिति के पदाधिकारी एवं सदस्यगण सफल बनाने में जुटे हुए हैं सप्तम दिन की कथा में हजारों की संख्या में आसपास के ग्रामीण क्षेत्र की भक्तगण महिला पुरुष युवा नागरिक गण ने कथा श्रवण कर पुण्य का लाभ प्राप्त कर महाभोग भंडारे का महाप्रसाद ग्रहण किया

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