Dr. Meera Baghel : रायपुर की सीएमएचओ डॉ. मीरा बघेल ने की जनधारा से खास बातचीत…पढ़िये पूरी खबर

Dr. Meera Baghel : रायपुर की सीएमएचओ डॉ. मीरा बघेल ने आज की जनधारा से की खास बातचीत...पढ़िये पूरी खबर

Dr. Meera Baghel : रायपुर की सीएमएचओ डॉ. मीरा बघेल ने की जनधारा से खास बातचीत…पढ़िये पूरी खबर

मां ने कहा डॉ. बनाना है और पीएमटी की तैयारी कर बन गई

– जबलपुर, छिंदवाड़ा के बाद 6वीं कक्षा में रायपुर के जेआर दानी गल्र्स कॉलेज की पढ़ाई
– डॉ. मीरा बघेल के कार्यकाल में नसबंदी में बेहतर काम करने के लिए रायपुर को मिला है एवार्ड

विशेष संवाद् दाता, मनोज सिंह

Dr. Meera Baghel : रायपुर। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 40 साल तक मरीजों की सेवा करने से लेकर प्रशासनिक अफसर बनाने का सफर पूरा करने वाली रायपुर की सीएमएचओ डॉ. मीरा बघेल ने आज की जनधारा के विशेष संवाद् दाता मनोज सिंह से खास

Dr. Meera Baghel : रायपुर की सीएमएचओ डॉ. मीरा बघेल ने आज की जनधारा से की खास बातचीत...पढ़िये पूरी खबर
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बातचीत की। इस दौरान उन्होंने अपनी स्कूलिंग से लेकर नौकरी तक की कहानी साझा कीं। पेश है बातचीत का अंश…

सवाल- आपकी स्कूलिंग कहां से शुरु हुई?
जवाब- मैं शिक्षित पिता की बेटी थी। मेरे पिताजी अध्यापक थे। शुरुआती शिक्षा जबलपुर, छिंदवाड़ा और फिर पिताजी का ट्रांसफर रायपुर हो गया तो मैं उनके साथ रायपुर आ गई

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और 7वीं कक्षा में रायपुर के जेआर दानी स्कूल में पढ़ाई शुरू की। मेरी टीचर कक्षा के 7-8 छात्राओं को स्कूल के बाद अलग से पढ़ाती थी। मेरी मां मुझे डॉ. बनाना चाहती थी।

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मैं बायोलॉजी से पढ़ाई की। पीएमटी की परीक्षा में दूसरी बार में मेरा चयन हुआ। मेडिकल में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद तत्काल नौकरी मिल गई। इसके बाद मैने मेडिकल में पीजी की पढ़ाई की।

सवाल – डॉ. बनने की वजह कया थी?
जवाब- मेरी माताजी एक बार अस्पताल गईं थीं। उस समय में 7वीं कक्षा में थी। उस समय अस्पताल में नर्स को देखा तो अच्छा लगा। मैने मां से कहा कि मुझे यही बनना है, लेकिन मां ने कहा नहीं, तुमको डॉ. बनना है।

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सवाल- स्वास्थ्य विभाग में पहले की तुलना में अब संसाधनों में कया बदलाव आया है?
जवाब- पहले से अब बहुत ज्यादा अंतर है। स्वास्थ्य विभाग में अब बिल्डिंग की बढ़ी है। पहले खून के अभाव में ऑपरेशन नहीं हो पाता था, लेकिन अब आसानी से खून, जांच से लेकर तमाम सुविधाए मिल जाती है। रायपुर में मेरी पोस्टिंग से पहले

रायपुर में तीन जगहों पर ऑपरेशन होता था, लेकिन अब 8 जगहों ऑपरेशन होता है। सबसे अहम है, रायपुर जिले को नसबंदी के लिए हाल में अवार्ड भी मिला है। यह इसलिए संभव हो सका कि डॉ. को रायपुर में ऑपरेशन थियेटरों की सं या बढ़ी है।

सवाल- ग्रामीण और शहरी इलाके में सबसे अधिक काम करने में कहां अच्छा लगता है?
जवाब- अधिकांश डॉ. शहरी क्षेत्र में काम करना चाहते हैं, लेकिन मुझे ग्रामीण इलाकों में काम करना अच्छा लगता है। गांव में डॉ. के नहीं होने से मरीज पहले झोलाछाप डॉ. के पास जाता है। वहां बीमारी ठीक नहीं होने के बाद प्राइवेट अस्पताल

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में जाते हैं। वहां मरीज का भर्ती कर पैसे लिया जाता है। जब उनके पास पैसे खत्म हो जाते हैं, तो उन्हें सरकारी अस्पतालों में भेज दिया जाता है। ग्रामीण इलाकों में डॉ. की जरुरत है और वहां स मान भी मिलता है।

डॉ. की पहचान भी मिलती है। सभी डॉ. को शहर के बजाए ग्रामीण इलाकों में अपनी सेवाएं देनी चाहिए।

सवाल- आपने कोरोना महामारी के चुनौतियों का कैसे किए?
जवाब- कोरोना महामारी सबके लिए नया था। मेरे विभाग के सचिव से लेकर जिला प्रशासन के अफसर और मेरे सहायक व स्टॉफ सभी ने मेरा सहयोग किया। आकसीजन, दवा और एडमिट करने का इंतजाम किया।

हम दवाओं का पैकेट बनाते थे, जिसे नगर निगम की टीम द्वारा घर-घर जाकर पहुंचाया जाता था। सभी का सहयोग मिला, जिससे कोरोना महामारी से लडऩे में मदद मिली।

सवाल- आपके रायपुर सीएमएचओ बनने के बाद कितना बदलाव आया है?
जवाब- डॉ को आपरेशन किट से थियरेटर की सुविधा बढाई गई। जिला अस्पताल में डायलसिस हो रही है। पोस्टमार्टमट होती है। जिला अस्पताल को दो पार्ट में किया गया। माना और रायपुर में है।

जिन बीमारियों का इलाज बाहर होता था, जो अब अस्पताल में मिला है। बच्चों का अस्पताल बनाया गया है। इसमें कई गंभीर बीमारी के बच्चों को इलाज भी मिला है।

तिल्दा, अभनपुर समेत अन्य स्वास्थयीक सामुदायिक केंद्र में इलाज सोनोग्राफी समेत अन्य जांच की सुविधा कर दी जाएगी।

सवाल- सीजनल बीमारी और स्वाइन फलू बीमारी को लेकर किस तरह का इंतजाम किया गया है?
जवाब – इसे लेकर हमारी टीम एलर्ट है। स्वाइन फलू का केस आने पर उनके आसपाक के लोगों की जांच की जाती है। लक्षण आने पर जांच की जाती है। अब तक 90 केस आए हैं, जिनमें 45 से अधिक लोग ठीक हो अभी 32 लोग अस्पताल

में है। जिनकी मौत हुई है, उन्हें और भी बीमारी थी।

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