Dr. Bhimrao Ambedkar Memorial Hospital : पहली बार किडनी की नस में सौ प्रतिशत रूकावट का लेजर एक्जाइमर विधि से एसीआई में सफल उपचार

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Dr. Bhimrao Ambedkar Memorial Hospital : उपलब्ध मेडिकल लिटरेचर के अनुसार लेजर एंजियोप्लास्टी द्वारा किडनी की नस के पूर्ण ब्लॉक के उपचार का यह पहला केस

 

Dr. Bhimrao Ambedkar Memorial Hospital : रायपुर !   डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में 66 वर्षीय एक मरीज के किडनी को खून की आपूर्ति करने वाली बायीं धमनी में सौ प्रतिशत रुकावट तथा हृदय की मुख्य नस में 90 प्रतिशत रुकावट का एक्जाइमर लेजर विधि से सफल उपचार किया गया। उपलब्ध मेडिकल लिटरेचर के अनुसार विश्व में लेजर एंजियोप्लास्टी द्वारा किडनी की नस के पूर्ण ब्लॉक के उपचार का यह पहला केस है। एसीआई के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में हुए इस उपचार में मरीज के किडनी की धमनी यानी रीनल आर्टरी और कोरोनरी आर्टरी का एक साथ उपचार कर मरीज को रीनल फेल्योर और हार्ट फेल्योर होने से बचा लिया गया। इन दोनों इंटरवेंशनल प्रोसीजर को क्रमशः लेफ्ट रीनल आर्टरी क्रॉनिक टोटल ऑक्लूशन एवं इन स्टंट री-स्टेनोसिस ऑफ कोरोनरी आर्टरी कहा जाता है।

Dr. Bhimrao Ambedkar Memorial Hospital : इस केस में पहली बार रीनल का 100 प्रतिशत ऑक्लूशन (रुकावट) था जिसके कारण बी. पी. कंट्रोल में नहीं आ पा रहा था। किडनी खराब हो रही थी। समय पर इलाज नहीं होता तो किडनी फेल हो जाती। डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने केस के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि मरीज के किडनी को खून की आपूर्ति करने वाली दोनों नसों में ब्लॉकेज था। एक में 100 प्रतिशत ब्लॉकेज/रुकावट था एक में 70-80 प्रतिशत ब्लॉकेज था। लेफ्ट रीनल आर्टरी जहां से शुरू होती है, वहीं मुख्य ब्लॉकेज था। इसके कारण खून का प्रवाह बिल्कुल बंद हो चुका था। इसके साथ ही मरीज के हृदय की मुख्य नस में ब्लॉकेज था जिसके लिए उसको 2023 में निजी अस्पताल में स्टंट लगा था जो बंद हो चुका था। यह स्टंट पूरी तरह ब्लॉक हो गया था। इन सब समस्याओं के कारण मरीज को हार्ट फेल्योर हाइपरटेंशन, सांस लेने में तकलीफ और बी. पी. कंट्रोल में नहीं आ रहा था।

ऐसे किया उपचार

Dr. Bhimrao Ambedkar Memorial Hospital : सबसे पहले लेफ्ट रीनल आर्टरी जो 100 प्रतिशत ब्लॉक थी, उसमें कठोर ब्लॉकेज होने की वजह से एक्जाइमर लेजर से उसके लिए रास्ता बनाया फिर बैलून से उस रास्ते को बड़ा किया जिससे उसमें स्टंट लगाकर उस नली को पूरी तरह खोल दिया गया और नार्मल फ्लो को किडनी में वापस चालू किया गया। ब्लॉकेज खोलने के साथ ही बी. पी. में परिवर्तन आने शुरू हुए और बी. पी. कम हो गया। इंट्रावैस्कुलर अल्ट्रासाउंड के जरिये स्टंट को देखकर यह कन्फर्म किया गया कि वह ठीक से अपने स्थान पर स्थापित हुआ है या नहीं।

 

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पूर्व में हुई एंजियोप्लास्टी के कारण हृदय की बायीं साइड की मुख्य नस लेफ्ट एंटीरियर डिसेंडिंग आर्टरी में डाले गये स्टंट के अंदर 90 प्रतिशत से भी ज्यादा रुकावट पायी गयी। इसको भी पहले लेज़र के जरिये ब्लॉकेज खोलकर रास्ता बनाया गया। फिर बैलून करके उस रास्ते को बड़ा किया गया फिर इंट्रा वैस्कुलर अल्ट्रासाउंड के जरिए स्टंट ब्लॉकेज के क्षेत्र को देखा। चूंकि रूकावट स्टंट के साथ-साथ स्टंट के बाहर की थी, इस वजह से एक नया स्टंट डालकर उस रूकावट को खोलने का निर्णय लिया गया। एक अतिरिक्त स्टंट डालकर दोनों रुकावट का इलाज किया गया। आईवीयूएस करके पूरी प्रक्रिया की वास्तविक वस्तुस्थिति को देखा। अंततः दोनों प्रक्रिया सफल रही। मरीज अब ठीक है तथा डिस्चार्ज लेकर घर जाने को तैयार है।

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