2022 Right हिस्सेदार को हक से वंचित करने वाला जालसाज को अग्रिम जमानत देने से कोर्ट का इंकार

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Right  श्रीनगर एक्सटेंशन के खिलाफ धोखाधड़ी

Right इंदौर। Deprived फर्जी लीजडीड से लाखों की संपत्ति बेचकर हिस्सेदार को हक से वंचित करने के मामले में पुलिस को अभी मूल दस्तावेज जब्त करना बाकी है। इस बीच कोर्ट ने मुलजिम को अग्रिम जमानत देने से इन्कार कर दिया। Right अब पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकेगी। आरोपी मंसूर हसन निवासी श्रीनगर एक्सटेंशन के खिलाफ धोखाधड़ी, अमानत में ख्यानत व साजिश रचने के आरोप में ने अपराध दर्ज किया है।

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Right आरोपी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत अर्जी जिला कोर्ट में लगाते हुए खुद को अत्याधिक बीमार होना बताया था। फरियादी मोहम्मद यूसुफ की ओर से एडवोकेट अशोक कचोलिया व नूरजहां खान ने जमानत का कड़ा विरोध किया। सरकारी वकील ने भी आरोपी से जब्ती होना बाकी बताई।

Right जज गिरिजाप्रसाद गर्ग ने यह कहते हुए अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी कि केस डायरी देखने के बाद मुलजिम को झूठा फंसाया जाना प्रकट नहीं होता है। अस्पताल में खयानत की धारा में उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है और मुलजिम से दस्तावेजों की जब्ती की जाना बाकी है। अत: ऐसे में जमानत देना न्यायोचित नहीं होगा।

Right एडवोकेट अशोक कचोलिया के मुताबिक मामला यह है कि वर्ष 2019 में फरियादी यूसुफ को पता चला कि आरोपी मंसूर ने उसके पिता हसनउद्दीन की भागीदारी फर्म का वर्ष 2012 में फर्जी मुख्तायरनामा तैयार कर लीजडीड निष्पादित करवा ली। साथ ही इसकी जानकारी छिपाकर उसे अंधेरे में रखा और बाले-बाले फर्म का विघटन कर दिया।

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Right जबकि फर्म के छह भागीदारों से चार की मौत हो चुकी थी। जब फरियादी ने मंसूर से अपना हिस्सा मांगा तो उसे जान से मारने की धमकी दी। इस पर एमआईजी पुलिस ने मंसूर के साथ ही नसीरउद्दीन, डॉ. शेख मोहम्मद हारुन, नाजिउद्दीन व जावेद हसन के खिलाफ धोखाधड़ी, अमानत में खयानत व साजिश रचने पर केस दर्ज किया है।

 

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