Dantewada 29 May 2023 : क्या आदिवासी होना अपराध है?

Dantewada 29 May 2023 : क्या आदिवासी होना अपराध है?

Dantewada 29 May 2023 : क्या आदिवासी होना अपराध है?

भारतीय किसान यूनियन टिकैत, छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष,संजय पंत ने प्रेस नोट जारी कर निम्नलिखित बातें कहीं |

 

Dantewada 29 May 2023 : दंतेवाड़ा (आज की जनधारा )29 मई 2023| भारतीय संविधान का अनुच्छेद 79- देश की संसद देश के राष्ट्रपति और संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) को मिलाकर बनती है।

https://jandhara24.com/news/160854/semester-pattern-will-not-be-applicable-in-ba-bcom-bsc-know-why/
Dantewada 29 May 2023 : भारतीय संविधान का अनुच्छेद 87 (1)- देश में होने वाले प्रत्येक आम चुनाव के बाद देश का राष्ट्रपति संसद की पहली कार्रवाई का उद्घाटन करेगा।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 111- देश के संसद से पारित होने वाला कोई भी बिल तभी कानून बन सकता है जब उस पर देश के राष्ट्रपति की सहमति हो।

भारतीय संविधान के उपरोक्त तीनों अनुच्छेदों को पढ़कर यह समझ आता है कि भारत के लोकतंत्र में राष्ट्रपति को उच्चतम दर्जा दिया गया है।

मई 2024 में देश में होने वाले आम चुनाव के बाद नई सरकार का गठन होगा और संसद की पहली कार्रवाई का उद्घाटन राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा किया जाएगा। अपने पूरे कार्यकाल मे राष्ट्रपति महोदया द्वारा ना जाने कितनी ही कानूनों को देश में लागू करने केे लिए अंतिम सहमति दी जाएगी।

Navigation Satellite NVS-1 : नेविगेशन सैटेलाइट एनवीएस-1 का हुआ सफल प्रक्षेपण…मजबूत होगी भारत की सेना
28 मई 2023 को देश के संसद (लोकसभा और राज्यसभा) के लिए बने नए भवन के उद्घाटन समारोह में देश की प्रथम महिला आदिवासी राष्ट्रपति को आमंत्रित ना करने की घटना भारतीय समाज में महिलाओं एवं आदिवासियों के प्रति नजरिये को दिखाता है। अंधे विकास के नाम पर भवन को तो बदला जा सकता है लेकिन सड़ी हुई मानसिकता को नहीं

बदला जा सकता है। सही मायनों में आरक्षण की आवश्यकता आदिवासी समुदाय को नहीं बल्कि सभ्य समाज को है जिससे उसकी सड़ चुकी मानसिकता को सुधारा जा सके।
आदिवासी सिर्फ भारत ही नहीं पूरे विश्व के प्रथम निवासी हैं और राष्ट्रपति भारत देश की प्रथम नागरिक है। नारी का सम्मान ना होना समाज के गिरावट को दिखाता है।

इस घटना से यह भी समझा जा सकता है कि देश की संसद में आदिवासियों से संबंधित कानूनों को बनाते समय आदिवासियों की भावनाओं का कितना ध्यान रखा जाता है। जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान का नारा देने वाले देश के प्रधानमंत्री महोदय संसद भवन के उद्घाटन के लिए कम से कम एक सिपाही, किसान या वैज्ञानिक को ही बुला लेते।

देश के बीचों-बीच आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के कारण बस्तर की जनता की भावनाओं को इस घटना से गहरा आघात लगा है। इस घटना से बस्तर में फैले गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, अशिक्षा, कुपोषण, भ्रष्टाचार और हिंसा के कारणों को आसानी से समझा जा सकता है। इस पूरे घटनाक्रम से एक सवाल अवश्य उठता है

कि क्या भारतीय समाज में आदिवासी होना ही अपराध है? यदि देश के प्रधानमंत्री की आदिवासियों के प्रति यह मानसिकता है तो बस्तर क्षेत्र के लिए देश की आजादी के अमृत महोत्सव का महत्व समझा जा सकता है

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU