Cow urine : गोमूत्र में हैरान करने वाले मिले हैं कीटनाशक के गुण

Cow urine :

राजकुमार मल

Cow urine : 12 मेडिशनल प्रॉपर्टीज और 4 किस्म के विटामिन

Cow urine : भाटापारा- गोबर और गोमूत्र। श्रेष्ठ उर्वरक और सर्वश्रेष्ठ खाद। बढ़ाते हैं भूमि की उर्वरा शक्ति और जल धारण क्षमता। गोमूत्र में कीटनाशक के जो गुण मिले हैं, वह तो हैरत में डालने वाले हैं।

अनुसंधान में मिली सफलता के बाद अब गोमूत्र, प्राकृतिक उर्वरक और कीटनाशक के रूप में पहुंचने के लिए तैयार है।

Cow urine : गोमूत्रः श्रेष्ठ उर्वरक, सर्वश्रेष्ठ कीटनाशक

also read : Sports : छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा राज्यस्तरीय शालेय क्रीड़ा प्रतियोगिता का आयोजन

रासायनिक उर्वरक और जहरीले कीटनाशकों के दिन अब जाने वाले हैं। विकल्प के रूप में गोमूत्र से बने जैविक खाद और जैविक कीटनाशक बहुत जल्द किसानों तक पहुंचेंगे।

बड़ा लाभ उन किसानों को होगा, जो व्यवसायिक खेती करते हैं। लघु और सीमांत किसानों को भी इसका लाभ होगा, आसान उपलब्धता के रूप में।

अभी तक किसानों का यह वर्ग यूरिया और महंगे कीटनाशक पर निर्भर था। अब यह सभी दिक्कत दूर हो रही है क्योंकि पालतू मवेशियों द्वारा उत्सर्जित गोबर और गोमूत्र से घर पर ही श्रेष्ठ उर्वरक और सर्वश्रेष्ठ कीटनाशक बनाए जा सकेंगे।

Cow urine : मिले गोमूत्र में यह तत्व

अनुसंधान में गोमूत्र में नाइट्रोजन, गंधक, अमोनिया, यूरिया,सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, कार्बोलिक एसिड, यूरिक एसिड, क्रिएटिनिन और स्वर्ण क्षार की मात्रा का होना पाया गया है।

इसके अलावा इसमें विटामिन ए, बी, सी और डी की भी अच्छी-खासी मात्रा मिली है। कॉपर की मात्रा इसे अनमोल बनाती है।

Cow urine : यह रोग होंगे खत्म

मेडिशनल प्रॉपर्टीज के खुलासे के बाद गोमूत्र से बने कीटनाशक के छिड़काव से तना छेदक, रस चूसक और दीमक जैसे घातक कीट से फसलों को सुरक्षित रखा जा सकेगा।

इसके साथ ही इसके छिड़काव से फसलों को संभावित अन्य रोग से भी मुक्त रखा जा सकेगा।

मालूम हो कि अपने प्रदेश के किसान माहो के बाद तना छेदक और रस चूसक कीट से सबसे ज्यादा नुकसान उठाते आए हैं।

इनकी दवाओं की खरीदी पर लगने वाली पूंजी अलग से लगती रही है।

Cow urine : खेतों को ऐसे लाभ

गोमूत्र में ना सिर्फ फसलों को सुरक्षित रखने के गुण हैं बल्कि यह मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी बढ़ाने में मददगार होंगे। इसके साथ ही मिट्टी की जल धारण क्षमता को भी बढ़ाएंगे।

इससे किसानों में सिंचाई पानी को लेकर होने वाली दिक्कत दूर होगी क्योंकि गोमूत्र दीर्घ अवधि तक मिट्टी की नमी को बनाए रखता है। यह लाभ निश्चित ही दूसरी फसल में भी मदद करेगा।

ऐसे बनाएं कीटनाशक

पालतू मवेशियों द्वारा त्यागे जाने वाले गोमूत्र से घर पर ही कीटनाशक बनाए जा सकते हैं। जरूरत के अनुसार 1 से 20 लीटर गोमूत्र से कीटनाशक बना सकते हैं।

नीम की पत्तियां, धतूरा के फूल, फल, पत्तियां, तना और जड़ की मात्रा डालनी होगी। सहयोगी सामग्री के रूप में नीला थोथा, लहसुन, लाल मिर्च और मिट्टी तेल की भी जरूरत होगी।

इन्हें आपस में मिलाकर एक डिब्बे में 15 से 20 दिन रखना होगा। बाद की अवधि में इसे कीटनाशक के रूप में छिड़काव किया जा सकेगा।

 गोबर, गोमूत्र आधारित कृषि तकनीक के बड़े पैमाने पर उपयोग से स्वास्थ्यवर्धक कृषि उत्पादन बढ़ेगा व रोगों को फैलने से रोका जा सकेगा और इससे भूजल भी प्रदूषित नहीं होगा।
– डॉ अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट, फॉरेस्ट्री, टीसीबी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

also read : https://jandhara24.com/news/107339/cbse-result-2022-class-12th-class-12th-result-can-be-seen-on-this-website-cbseresults-nic-in/

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU