नितेश मार्क
Color festival holi रंग गुलाल बनाकर जीवन में रंग भरती दीदियां
Color festival holi दंतेवाड़ा । रंगों का अस्तित्व हमारी सामाजिक परम्पराओं में सदैव शामिल रहा है। पर्वों तीज त्योहारों से लेकर शादी ब्याह पारिवारिक समारोह में किसी न किसी रूप में रंग हमारी संस्कृति का अटूट हिस्सा रहे है। हर्ष उल्लास के प्रतीक रंगोत्सव होली की कल्पना बिना रंगों के की ही नहीं जा सकती। परन्तु बाजारों में बिकने वाले केमिकल युक्त रंग त्वचा के लिए हानिकारक होते है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मुख्यालय के चितालंका की पार्वती महिला ग्राम संगठन स्व सहायता समूह की दीदियों ने हर्बल गुलाल बनाकर इसे अपने आय का साधन बनाया है।
चूंकि जिला दंतेवाड़ा में जहां पूर्ण रूप से जैविक खेती की जाती है और यह जैविक जिला बनने की ओर अग्रसर है उसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए अब जिले में अलग-अलग समूह की 7 दीदियाँ मिलकर हर्बल गुलाल बना रही है। इस हर्बल गुलाल को बनाने में किसी भी तरह के रसायन का उपयोग नहीं किया जाता है, यहां जैविक सब्जियों का उत्पादन बहुतायत होता है।
Color festival holi तो अब यह गुलाल न केवल हर्बल बल्कि काफी हद तक जैविक भी है इसमें प्रमुखतम अरारोट पाउडर, हरा रंग हेतु पालक भाजी, लाल रंग हेतु लाल भाजी टेसू के फूल पीला रंग के लिए गेंदा के फूल कुछ हल्दी एवं अन्य तरह की सब्जी का उपयोग तथा सुगंध हेतू सुगंधित फूलो का उपयोग किया गया है और इस प्रकार समूह की महिलाएं पिछले 4 वर्षो से लगातार हर्बल गुलाल बना रही है। और उनके द्वारा निर्मित हर्बल गुलालों की होली उत्सव के अलावा अन्य पर्व उत्सव में अच्छी डिमांड रहती है। कुल मिलाकर हर्बल गुलाल बनाकर दीदियां अच्छी आय प्राप्त कर रही है।