Collector stay : कलेक्टर प्रवास के बावजूद न प्रशासनिक चुस्ती आई और ना ही बदहाल व्यवस्था में हुआ सुधार

Collector stay :

राजकुमार मल

Collector stay : यहां सवाल उठाना मना है… सिरे से गायब चुस्ती

 

Collector stay : भाटापारा- पखवाड़ा बीता कलेक्टर के प्रवास को, लेकिन न प्रशासनिक चुस्ती आई, ना बदहाल व्यवस्था में सुधार आया। सबसे लचर व्यवस्था उस महकमे में देखी जा रही है, जिसे कम से कम अब तो सुधर जाना चाहिए था।

जी हां, यहां बात हो रही है पुलिस प्रशासन की, जिसे त्यौहार और पर्व के दिनों में चुस्त होना चाहिए।

सिरे से गायब है चुस्ती। हर महकमा अपने-अपने तरीके से काम कर रहा है। काम हो रहे हैं या नहीं ? यह मत पूछिए, क्योंकि सवाल उठाना यहां मना है।

Collector stay : 27 जुलाई को शहर प्रवास पर पहुंचे कलेक्टर रजत बंसल ने जिस अंदाज से चिकित्सा क्षेत्र में कार्रवाई की, उससे उम्मीद थी कि दूसरे विभाग सबक लेंगे। लेकिन असर किसी विभाग को नहीं पड़ा क्योंकि अब भी सब कुछ, मेरी मर्जी की तर्ज पर चल रहा है।

सवाल उठाना मना है

शहर पुलिस और यातायात पुलिस। कार्यप्रणाली पर सवाल अब भी मत उठाइए क्योंकि जवाब नहीं मिलेंगे। शिकायत करने पर हो सकता है मामला आपके उपर ही दर्ज हो जाए। यातायात पुलिस की बलिहारी है।

सिविल अस्पताल के पास ही इनकी मौजूदगी नजर आती है। जय स्तंभ चौक अवैध पार्किंग बन चुका है। संभाले नहीं संभाली जाती गोविंद चौक की बदहाली। बस स्टैंड चौक।

जवानों की संख्या नजर तो आती है लेकिन बेतरतीब आती-जाती वाहनें प्रमाण हैं कि महज खानापूर्ति के लिए नजर आते हैं यातायात जवान। सवाल उठाना मना है।

Collector stay :चुस्ती सिरे से गायब

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अनुविभागीय अधिकारी और तहसील कार्यालय। उम्मीद से पहुंचते हैं फरियादी कि उनकी समस्या का समाधान होगा लेकिन जिस तरीके से काम हो रहे हैं, उससे लगेगा नहीं कि कार्रवाई को लेकर जिम्मेदारी का भान होगा।

बढ़ते राजस्व मामले इसका प्रमाण हैं कि निराश ही कर रहे हैं यह दोनों। अगर रसूख रखते हैं तो काम की पूरी गारंटी, नहीं तो कब होगा ? जब हम चाहेंगे।

Collector stay : नगर पालिका और जनपद

शहरी और ग्रामीण आबादी की समस्या दूर करने की जिम्मेदारी नगरपालिका और जनपद पंचायत की होती है लेकिन यह दोनों विभाग जिस शैली को अपनाए हुए हैं, उसे लेकर सवालों का उठना चालू हो चुका है।

 

शिकायत या अर्जी लेकर न ही जाएं तो अच्छा होगा क्योंकि जिम्मेदारों की उपस्थिति चाहकर भी नजर नहीं आएगी। इसलिये अधिकारियों और कर्मचारियों की फौज होने के बावजूद समस्याएं दूर नहीं हो रहीं हैं।

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