Cipher result conference टूट चुका है वैश्विक सप्लाई चेन
Cipher result conference ग्लोबलाइलजेशन के दौर थम चुका है। वैश्विक सप्लाई चेन टूट चुका है। दुनिया खेमों में बंट रही है। तब क्या जी-20 की ऐसी प्रासंगिकता नहीं बचेगी, जिस कारण यह एक महत्त्वपूर्व समूह बना था?
इंडोनेशिया के बाली हुए जी-20 शिखर सम्मेलन का सार यही रहा कि नई बनी विश्व परिस्थितियों में ये मंच अपनी प्रासंगिकता खो रहा है। ये बात ध्यान में चाहिए कि जी-20 में देशों को उनकी अर्थव्यवस्था के आकार के आधार पर शामिल किया गया था।
यानी यह मुख्य रूप से आर्थिक मंच है। इस समूह की पहचान 2008 की वैश्विक मंदी के समय और उसके बाद बढ़ी, जब इसके सदस्य देशों ने मिल कर दुनिया को उन हालात से उबारने के साझा प्रयास किए। अब जबकि बाली में इन देशों के नेता मिले, तो उस समय एक बार फिर खाद्य और ऊर्जा संकट, महंगाई और उसके कारण मंदी के बनते हालात दुनिया के सामने हैं।
Cipher result conference ऐसे में इस समूह से यह अपेक्षा उचित होती कि एक बार फिर इसके सदस्य देश दुनिया को राहत पहुंचाने के साझा कदम उठाएंगे। लेकिन यह अपेक्षा सम्मेलन शुरू होने से पहले ही चूक गई, जब पश्चिमी देशों ने इस मंच से रूस को निकालने की कोशिश की और उधर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन को घेरने और उस पर प्रतिबंध लगाने के कई एलान कर दिए। ऐसे में बाली कोई आम सहमति बनती, इसकी गुंजाइश कम थी।
जाहिर है, वहां सारा ध्यान नेताओं की द्विपक्षीय मुलाकातों पर टिका रहा। जबकि शिखर सम्मेलन में यूक्रेन युद्ध जैसे महत्त्वपूर्ण मसले पर कोई सार्थक विचार होने के बजाय इस पर मतभेद उभर कर सामने आते रहे। इसकी झलक बाद में जारी बाली घोषणापत्र में भी देखने को मिली।
Cipher result conference तो कुल सूरत यह उभरी जब ग्लोबलाइलजेशन के दौर थम चुका है, इस कारण वैश्विक सप्लाई चेन टूट चुका है और दुनिया खेमों में बंट रही है, तब पुरानी परिस्थितियों में बना मंच अनौपचारिक चर्चाओं के लिहाज से भले उपयोगी हो, लेकिन उसकी कोई ऐसी प्रासंगिकता नहीं बचेगी, जिसकी वजह से यह एक महत्त्वपूर्व समूह बना था।
इसलिए संभव है कि आने वाले वर्षों में जी-20 के बजाय दुनिया का ध्यान जी-7, ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन जैसे देशों के शिखर सम्मेलनों पर अधिक टिके। उन मंचों में कम से कम एक बात अवशय है कि वहां आने वाले देशों में हितों की समानता है, जिससे उनके बीच वैचारिक सहमति की भी अधिक गुंजाइश बनी हुई है।