Chief Editor सुभाष मिश्र की कलम से – महाअधिवेशन का महामंथन

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– सुभाष मिश्र Chief Editor

रायपुर में चल रहे कांग्रेस के 85वें महाधिवेशन का समापन हो गया है। एक नए उत्साह के साथ कांग्रेस के बड़े नेताओं ने एक तरह से कार्यकर्ताओं को चार्ज करने की कोशिश की और 2023 और 24 में होने वाले चुनावों में किस तरह मैदान में ताल ठोंकनी है इसको लेकर कार्यकर्ताओं को तैयार करने की कोशिश की। इस दौरान दावा किया गया कि पार्टी अरुणाचल प्रदेश से गुजरात तक ‘भारत जोड़ो यात्राÓ निकालने का विचार कर रही है। वहीं, राहुल गांधी ने अपने करीब 32 मिनट की स्पीच में राहुल ने भाषण में भारत जोड़ो यात्रा, अडाणी हिंडनबर्ग केस, चीन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा।
इस दौरान उन्होंने भावनात्मक तरीके से कहा कि 52 साल हो गए मेरे पास आज भी अपना घर नहीं है। एक तरह राहुल गांधी ने खुद को देश के आम आदमी से जोडऩे की कोशिश ज्यादा की। उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा को लेकर इस दौरान ज्यादा बातें की। यात्रा के अनुभव उन्होंने साझा किये। इस दौरान प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खडग़े ने भी केन्द्र पर पर्याप्त निशाना साधा और कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश की।
खडग़े ने मजबूत कांग्रेस बुलंद भारत का नारा दिया। उन्होंने समझाने की कोशिश की कि जब तक कांग्रेस जैसी पार्टी मजबूत नहीं होगी तब तक देश में कुछ लोग मनमानी करते रहेंगे, यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। इससे पहले सोनिया गांधी ने अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि 2004 और 2009 में हमारी जीत के साथ-साथ डॉक्टर मनमोहन सिंह के कुशल नेतृत्व ने मुझे व्यक्तिगत संतुष्टि दी, लेकिन मुझे सबसे ज़्यादा खुशी इस बात की है कि मेरी पारी भारत जोड़ो यात्रा के साथ समाप्त हुई, जो कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई. उनके इस बयान के बाद उनके राजनीतिक जीवन से रिटायरमेंट को लेकर चर्चा शुरू हो गई। हालांकि पार्टी के कई बड़े नेताओं ने इससे इनकार किया।
इसके अलावा इस अधिवेशन को कांग्रेस में नए सोशल इंजीनियरिंग लाने की कोशिश के लिए भी याद किया जाएगा। उससे पार्टी को कितनी मजबूती मिलेगी ये भी वक्त के साथ सामने आएगा। दरअसल, पार्टी ने अपनी सबसे अहम कमेटी सीडब्ल्यूसी में एससी, एसटी, महिलाओं और युवाओं के लिए 50 फीसदी सीट आरक्षित करने का फैसला लिया है। अब देखने वाली बात होगी कि इस समीकरण के तहत पार्टी को किस तरह के रणनीतिकार मिलते हैं और वे किस तरह की दिशा पार्टी को देते हैं, ये बहुत महत्वपूर्ण होगा।
अगर हम इसे और राजनीतिक निचोड़ के तौर पर देखें तो इस महाधिवेशन से कहीं न कहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को काफी लाभ हुआ है। उनका सियासी कद राष्ट्रीय स्तर पर और मजबूती से स्थापित हुआ है। साथ ही इस साल होने वाले चुनाव से पहले बड़ा जमावड़ा कर उन्होंने अपनी ताकत स्थानीय स्तर पर भी दिखाई है। यहां कांग्रेस के कार्यकर्ता नए सिरे से इससे एकजुट जरूर हुए हैं, इसका लाभ आने वाले विधानसभा चुनाव में जरूर मिलेगा। क्योंकि अब प्रदेश की राजनीति धीरे-धीरे चुनावी मोड में शिफ्ट हो रही है। विधानसभा के बजट सत्र के बाद इसमें और तीव्रता देखने को मिलेगी। ऐसे में महाधिवेशन से रिचार्ज हुए यहां के कार्यकर्ता चुनाव में भी भूपेश बघेल की अगुवाई में दम भर सकते हैं।

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