From the pen of Chief Editor Subhash Mishra – Dying life on the road
– सुभाष मिश्र Chief Editor
सड़क हादसे दुनिया भर में और विशेष रूप से भारत में लोगों की मृत्यु, विकलांगता और अस्पताल में भर्ती होने के प्रमुख कारणों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में सड़क हादसों में मारे गए 10 लोगों में से कम से कम एक भारत से होता है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में सड़क हादसों की चपेट में आने वालों में 18-45 साल के आयु वर्ग युवा वाले वयस्कों का हिस्सा 69 प्रतिशत था। जबकि 18-60 वर्ष के कामकाजी आयु वर्ग के लोगों की हिस्सेदारी कुल सड़क दुर्घटनाओं में 87.4 प्रतिशत थी। रिपोर्ट में कहा गया कि साल 2020 में लगातार तीसरे साल सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों में बड़े पैमाने पर कामकाजी आयु वर्ग के युवा शामिल हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार अधिकांश एक्सीडेंट शाम 6 बजे से रात 9 बजे के बीच होते हैं। जिसमें दोपहिया वाहनों की मौत 44फीसदी से अधिक होती है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग विभाग के अनुसार, हर दिन देशभर में 415 लोगों की मौत सड़क हादसों की वजह से होती है इसके साथ ही और कई लोग इसमें घायल होते हैं। भारत में नशे की हालत में वाहन चलाने, सामान्य ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करने के चलते भी सड़क हादसों की संख्या बढ़ती है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक सड़क पर लगभग 90फीसदी मौतें तेज़ गति, ओवरटेकिंग और खतरनाक ड्राइविंग के कारण हुई। सड़क हादसों के चलते हंसता खेलता परिवार खत्म हो रहे हैं, खुशियां मातम में बदल जाती हैं। ऐसे में लापरवाही से वाहन चलाकर कई जिंदगी को खतरे में डाल दिया जाता है। आंकड़े बता रहे हैं कि इन हादसों के शिकार होने वालों में ज्यादातर युवा हैं। उन्हें समझना होगा कि हादसों में होने वाले नुकसानों की भरपाई नामुकिन है। हमारे देश में सड़क हादसों के पीछे कई तरह के कारक हैं इनमें प्रमुख- सड़कों और वाहनों की दयनीय स्थिति है, ओवर स्पीडिंग, शराब या ड्रग्स के प्रभाव में ड्राइविंग, थकान या बिना हेलमेट बाइक चलाना, ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन पर बात करना सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण बन गया है।
इन तमाम कारणों के अलावा भी रफ्तार को वीरता और साहस से जोड़कर देखना बिना वजह रेस करना अक्सर घातक साबित होता है। छत्तीसगढ़ में भी सड़क हादसों में काफी बढ़ोतरी हुई है। यहां हर दिन 17 लोगों की मौत सड़क हादसों की वजह से होती है। यहां सड़क हादसों में बाइक सवारों के साथ ही ऐसे वाहनों के साथ ज्यादा होते हैं जो मालवाहक कैटेगरी के होते हैं लेकिन उनमें मुसाफिर सवार होते हैं। होली के दौरान भी हमने कई जगहों से इस तरह की दुखद खबरें देखी। इस तरह के हादसे थोड़ी लापरवाही कम कर और जागरूक होकर टाली जा सकती है। ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम द्वारा किये गए क्रैश टेस्ट से पता चला है कि भारत के कुछ सबसे अधिक बिकने वाले कार मॉडल संयुक्त राष्ट्र के फ्रंटल इम्पैक्ट क्रैश टेस्ट में विफल रहे हैं। ऐसे में पता चलता है कि हम सड़क हादसों में हो रही मौत और मानवीय जीवन को लेकर कितने गंभीर हैं।
लापरवाही के साथ ही जागरूकता की कमी भी सड़क हादसों को गंभीर बनाती हैं। एयरबैग, एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम आदि जैसी सुरक्षा सुविधाओं के महत्व के बारे में जागरूकता की कमी है। विश्व बैंक के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं से भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रत्येक वर्ष सकल घरेलू उत्पाद का 3 से 5 प्रतिशत नुकसान होता है। सड़क दुर्घटना के कारण होने वाली मृत्यु की वजह से गरीब परिवारों की लगभग सात माह की घरेलू आय कम हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप पीडि़त परिवार गरीबी और कजऱ् के चक्र में फंस जाता है। हमारे यहां वाहन चालक लाइसेंस बनने से लेकर माता-पिता द्वारा कम उम्र में बच्चों को वाहन चलाने की अनुमति देना भी कहीं न कहीं हादसों का कारण बनते हैं। ऐसे में सड़क हादसों को कैसे कम किया जाए इस पर सब को विचार करने की जरूरत है।