Chhattisgarh State Teachers Federation : पदोन्नति पहले हो, बाद में हो युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया , छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन- की मांग

Chhattisgarh State Teachers Federation :

के एस ठाकुर

Chhattisgarh State Teachers Federation :  पदोन्नति पहले हो, बाद में हो युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया , छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन- की मांग

 

Chhattisgarh State Teachers Federation :  राजनांदगांव !  छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन ने दिया शिक्षा विभाग एवं शासन को दिया है अल्टीमेटम कहां पात्र शिक्षकों के पदोन्नति पहले हो। तथाअध्ययन एवं अध्यापन के गुणवत्ता के लिये विषय तथा कक्षा संख्या के अनुसार शिक्षकों की पदस्थापना हो-

शिक्षा सत्र 2024 25 का प्रारंभ 26 जुलाई से हुआ है किंतु शालाओं में शिक्षकों की कमी हमेशा की तरह विभाग के लिए एक विकराल समस्या बनी हुई है ।

Chhattisgarh State Teachers Federation : सेवा भर्ती पदोन्नति नियम 2019 के अनुसार सभी शिक्षक संवर्ग के पदों पर पदोन्नति की कार्यवाही करना विद्यार्थी हित में है। मार्च 2020 के स्थिति में प्राचार्य के 2820 पद रिक्त थे। सेवानिवृत्ति के फलस्वरूप आँकडा और अधिक हो गया है। T-संवर्ग में 2013 एवं E-संवर्ग में 2016 से प्राचार्य पदोन्नति नहीं हुआ है। तकरीबन यही हाल व्याख्याता के रिक्त रहे 9622 पदों का है। जोकि सेवानिवृत्ति के कारण और अधिक हो गया है। प्रधानपाठक मिडल स्कूल के 5715,शिक्षक के 15969 एवं प्रधानपाठक प्राथमिक शाला के 20678 रिक्त पदों पर कमोबेश यही स्थिति है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी एवं उप प्रांताध्यक्ष विष्णु सिंह राजपूत का कहना है कि अध्ययन एवं अध्यापन की गुणवत्ता के लिए प्राथमिक,माध्यमिक,हाई तथा उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में कक्षावार दर्ज संख्या के अनुसार विषय शिक्षकों की पदस्थापना आवश्यक है। अतः शिक्षक संवर्ग के रिक्त पदों को पदोन्नति द्वारा भरे जाने के बाद ही युक्तियुक्तकरण करना उचित होगा। उन्होंने बताया कि पदोन्नति के पश्चात ही शालावार अतिशेष शिक्षकों की वास्तविक स्थिति का आंकलन करना चाहिये। अन्यथा अनेक विद्यालय विषय शिक्षक/शिक्षक विहीन हो जाने की संभावना है।

Chhattisgarh State Teachers Federation : उन्होंने बताया कि प्राथमिक विद्यालय में 5 कक्षा एवं 4 विषय,पूर्व माध्यमिक में 3 कक्षा एवं 6 विषय,हाई स्कूल में 2 कक्षा एवं 6 विषय तथा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त कॉमर्स संकाय के 3 विषय,कला संकाय के 3 विषय,गणित/बायलॉजी के 3 विषय के 5 कक्षाओं में अध्यापन होता है।जोकि संकाय अनुसार न्यूनतम है। कक्षाओं की संख्या दर्ज संख्या पर निर्भर होता है।फेडरेशन का कहना है कि छात्रहित के दृष्टिगत स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों का निर्धारण पदोन्नति से पदस्थापना करने के बाद किया जाना चाहिए।पहले पदोन्नति फिर युक्तियुक्तकरण का नीति निर्धारण होना शिक्षक एवं शिक्षार्थी हित में होगा।

 

शिक्षा विभाग में विभिन्न स्तर पर पदोन्नति की की कार्रवाई की जानकारी काफी पहले से सुनाई पड़ रही है तथा वरीयता सूची भी वरिष्ठ कार्यालय द्वारा मांगे गए हैं लेकिन विभाग को जिस समय पर पदोन्नति देना चाहिए अर्थात ग्रीष्म अवकाश अवधि में वह उसे समय पर आदेशित नहीं करती है विभाग या तो शिक्षा सत्र प्रारंभ होने के बाद या फिर शिक्षा सत्र के मध्य सत्र में पदोन्नति सूची जारी करता है जिससे अध्यापन व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो जाती है यदि शिक्षा सत्र के शुरू में ही पदोन्नति सूची जारी कर दी जाए एवं उन्हें वांछित स्कूल में पदस्थ कर दिया जाए तो शिक्षा सत्र प्रारंभ होते विभाग के पास या बड़ा स्पष्ट तस्वीर होगा कि किस विद्यालय के किस कक्षा मे विषय वार एवं स्वीकृत पद की तुलना में वर्तमान में स्थिति क्या है एवं उसी के अनुरूप विभाग या शासन शिक्षकों की पदस्थापन कर सकता है। लेकिन विभाग ऐसा ना करके युक्ति युक्त करण का लंबा खेल खेलता है और इसी के चलते शिक्षकों में आक्रोश पनपता है ।

 

वैसे पूर्व शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने मंत्रालय की ओर से एक परिपथ जारी कर सभी अधिकारियों को एवं जिलाधीशों को निर्देश दिया था कि शिक्षा विभाग में किसी भी स्थिति में सन्नागणीकरण नहीं रहेगा जिसकी जहां पदस्थिति है उन्हें मूल स्थान पर वापस भेज दिया जाए । लेकिन शासन एवं मंत्री के आदेश भी शिक्षा विभाग के लिए कोई मायने नहीं रखता है आज भी अनेक ऐसे शिक्षक है जो अपनी ऊंची पहुंच के दम पर सुविधाजनक स्थान में संलग्न है ।

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सर्वप्रथम शासन के आदेश का पालन होना चाहिए। जो भी शिक्षक जहां संलग्न है उसे वापस मूल स्थान में भेजा जाना चाहिए ।और यदि कोई अधिकारी ऐसे नहीं करता है तो उनके विरुद्ध भी आवश्यक कार्रवाई होना चाहिय। अब देखना यह है कि क्या शासन के आदेश का पालन हो पता है या फिर शासन के आदेश को दरकिनार कर अधिकारी अपनी मनमानी करते हैं रहते हैं ।

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