Central Government : जन गण मन और वंदे मारतम का दर्जा बराबर हो, हाई कोर्ट में बोली केंद्र सरकार

Central Government : जन गण मन और वंदे मारतम का दर्जा बराबर हो, हाई कोर्ट में बोली केंद्र सरकार

Central Government : जन गण मन और वंदे मारतम का दर्जा बराबर हो, हाई कोर्ट में बोली केंद्र सरकार

Central Government : राष्ट्र जन गण मन और राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम को समान दर्जा प्राप्त है और नागरिकों को दोनों को समान सम्मान देना चाहिए। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका का जवाब देते हुए यह बात कही है.

Central Government : जन गण मन और वंदे मारतम का दर्जा बराबर हो, हाई कोर्ट में बोली केंद्र सरकार
Central Government : जन गण मन और वंदे मारतम का दर्जा बराबर हो, हाई कोर्ट में बोली केंद्र सरकार

Also read  :Priyanka Chopra’s Bodyguard : प्रियंका के मुंबई पहुंचने से ज्यादा चर्चा में…उनका बॉडीगार्ड…क्या अदा, क्या तेवर….लाखो लड़किया हुई क्लीम बोल्ड

Central Government : इस अर्जी में मांग की गई थी कि वंदे मातरम को भी वही दर्जा और सम्मान मिले, जो राष्ट्रगान को दिया जाता है. इसके अलावा राष्ट्रगीत के सम्मान को लेकर दिशा-निर्देश तैयार करने की भी मांग की गई।

इस पर हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और कानून मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.

Central Government : जन गण मन और वंदे मारतम का दर्जा बराबर हो, हाई कोर्ट में बोली केंद्र सरकार
Central Government : जन गण मन और वंदे मारतम का दर्जा बराबर हो, हाई कोर्ट में बोली केंद्र सरकार

इस आवेदन में यह भी मांग की गई है कि केंद्र और राज्य सरकारों को यह तय करने का आदेश दिया जाए कि हर कार्य दिवस पर स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में जन गण मन और वंदे मातरम गाया जाए।

इसके अलावा 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा में पारित प्रस्ताव के अनुसार दोनों के सम्मान के लिए दिशा-निर्देश तय किए जाएं।

Also read  :https://jandhara24.com/news/123990/shocked-by-the-warning-of-the-merchant-union-the-nh-department-warned-the-administration-to-make-a-ruckus/

याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि भारत राज्यों का संघ है। यह कोई महासंघ नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी एक ही राष्ट्रीयता है और वह है भारतीयता। वंदे मातरम का सम्मान करना हम सबका दायित्व है।

अर्जी में सवाल, वंदे मातरम् से किसी को कैसे आहत हो सकता है?

उन्होंने कहा कि देश को एकजुट रखने के लिए राष्ट्रीय नीति बनाना सरकार की जिम्मेदारी है ताकि जन गण मन और वंदे मातरम का सम्मान किया जा सके.

Central Government : जन गण मन और वंदे मारतम का दर्जा बराबर हो, हाई कोर्ट में बोली केंद्र सरकार
Central Government : जन गण मन और वंदे मारतम का दर्जा बराबर हो, हाई कोर्ट में बोली केंद्र सरकार

याचिकाकर्ता ने कहा कि यह समझ से बाहर है कि वंदे मातरम किसी की भावनाओं को कैसे आहत कर सकता है, जबकि दोनों को संविधान निर्माताओं ने चुना है।

Also read  :Brazil News : जूतों में पैर डालते ही आए 7 हार्ट अटैक, 7 साल के बच्चे की गई जान….मामला जानने पढ़िये पूरी खबर

उन्होंने कहा कि जन गण मन से राष्ट्र की भावना सामने आती है। वहीं वंदे मातरम राष्ट्र के चरित्र, उसकी जीवन शैली की अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि हर भारतीय वंदे मातरम का सम्मान करे। ऐसा नहीं हो सकता कि कोई वंदे मातरम गाने से मना कर दे।

टैगोर ने वंदे मातरम भी गाया, कांग्रेस अधिवेशन में कई बार गाया

अश्विनी उपाध्याय ने अपनी अर्जी में कहा, ‘वंदे मातरम पूरे देश का विचार था। यह स्वतंत्रता आंदोलन की अभिव्यक्ति थी। शहर-शहर की रैलियों में वंदे मातरम का नारा लगाया गया।

वंदे मातरम के जय घोष के डर से एक समय अंग्रेजों ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। इतना ही नहीं इसका उल्लंघन करने पर क्रांतिकारियों को जेल में भी डाल दिया गया। आवेदन में कहा गया, ‘रवींद्रनाथ टैगोर ने 1896 में कलकत्ता में कांग्रेस के एक अधिवेशन में वंदे मातरम गाया।

Central Government : जन गण मन और वंदे मारतम का दर्जा बराबर हो, हाई कोर्ट में बोली केंद्र सरकार
Central Government : जन गण मन और वंदे मारतम का दर्जा बराबर हो, हाई कोर्ट में बोली केंद्र सरकार

इसके बाद 1901 में कांग्रेस अधिवेशन में दक्षिण चरण सेन ने वंदे मातरम भी गाया। इतना ही नहीं 1905 में बनारस में हुए कांग्रेस अधिवेशन में एक बार फिर सरला देवी ने वंदे मातरम गाया। लाला लाजपत राय ने लाहौर से इसी नाम से अखबार प्रकाशित किया।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU