CBI Entry In Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में CBI की एंट्री कैसे…..जानिए ऐसे…

CBI Entry In Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में CBI की एंट्री कैसे.....जानिए ऐसे...

CBI Entry In Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में CBI की एंट्री कैसे…..जानिए ऐसे…

CBI Entry In Chhattisgarh : भिलाई. छत्तीसगढ़ में शुक्रवार को सुबह CRPF के दस्ते के साथ cbi के छापे की खबर ने दुर्ग-भिलाई ही नहीं, बल्कि प्रदेश के लोगों को भी चौंका दिया. चौंकाने वाली बात यह थी कि छत्तीसगढ़ में cbi बैन है,

CBI Entry In Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में CBI की एंट्री कैसे.....जानिए ऐसे...
CBI Entry In Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में CBI की एंट्री कैसे…..जानिए ऐसे…

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CBI Entry In Chhattisgarh : फिर कैसे छापेमारी हुई. एक सवाल भी लोगों के मन में आया कि छापे के पीछे क्या कारण है. पहले आपको यह बता दें कि कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई की टीम यहां पहुंची है. दुर्ग पद्मनाभपुर के कोठारी बंधुओं के यहां छापेमारी चल रही है. इनमें सुरेश कोठारी, CA श्रीपाल कोठारी और सिद्धार्थ कोठारी शामिल हैं.

यह मामला 2021 का है, जिसमें कोलकाता पुलिस ने तीनों के खिलाफ 420 सहित कई गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज किया है. कोलकाता पुलिस की टीम यहां पांच बार गिरफ्तारी के लिए पहुंची, लेकिन आरोपी नहीं मिले. दुर्ग पुलिस पर भी सहयोग नहीं करने का आरोप लगा,

CBI Entry In Chhattisgarh :

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जिसके बाद हाईकोर्ट ने केस सीबीआई को सौंप दिया. इसी कड़ी में आज सीबीआई पहुंची है.

दुर्ग जिले में रियल एस्टेट का काम करने वाली एक कंपनी है, जिसका नाम रजत बिल्डकॉन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड है. इस कंपनी ने अपने 40 हजार शेयर 2005-06 में कोलकाता के कारोबारी प्रकाश जायसवाल को बेचे थे.

CBI Entry In Chhattisgarh : छत्तीसगढ़ में CBI की एंट्री कैसे.....जानिए ऐसे...
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इन सभी शेयर्स को 2012-13 में सुरेश कोठारी ने धोखाधड़ी करके अपने चचेरे भाई सीए श्रीपाल कोठारी और सिद्धार्थ कोठारी की मदद से अपने नाम पर चढ़वा लिया था. इन शेयर्स की कीमत 53 करोड़ 44 लाख 19 हजार 230 रुपए है.

जब प्रकाश जायसवाल को इसके बारे में पता चला तो उसने इसकी शिकायत कोलकाता के बुर्ताल्ला थाने में की थी. पुलिस ने 2 जनवरी 21 को सुरेश कोठारी, सिद्धार्थ कोठारी और सीए श्रीपाल कोठारी के खिलाफ 420, 467, 468, 471, 406 और 120 बी के तहत धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था.

कोलकाता पुलिस इन आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए पांच बार दुर्ग पहुंची, लेकिन बैरंग लौटना पड़ा. आखिरकार जायसवाल को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा. हाईकोर्ट ने दो राज्यों की पुलिस के बीच समन्वय नहीं होने की परिस्थिति को देखते हुए केस को सीबीआई को सौंप दिया था.

मनोज व्यास : छत्तीसगढ़ में 18 साल से पत्रकारिता में सक्रिय, सभी प्रमुख संस्थाओं में दी सेवाएं, इसी दौरान हरिभूमि समाचार पत्र से जुड़े। इसके बाद दैनिक भास्कर में सिटी रिपोर्टर के रूप में जॉइन किया। नौकरी के साथ-साथ गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय से एमएमसीजे की पढ़ाई पूरी की। न्यायधानी के बाद राजधानी का रुख किया।

यहां फिर हरिभूमि से शुरुआत की और नेशनल लुक, पत्रिका, नवभारत, फिर दैनिक भास्कर होते हुए भविष्य की पत्रकारिता का हिस्सा बनने के लिए NPG.News में बतौर न्यूज एडिटर जॉइन किया। इस बीच नवभारत के भुवनेश्वर, ओडिशा एडिशन में एडिटोरियल इंचार्ज के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

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