Cas, if not chaos then what केऑस, अराजकता नहीं तो क्या !

Cas, if not chaos then what

हरिशंकर व्यास

Cas, if not chaos then what केऑस, अराजकता नहीं तो क्या !

Cas, if not chaos then what क्या आपको, किसी मुख्यमंत्री को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पता है कि देश किस दशा में है? यदि पता होता तो बाढ़, खरीफ फसल की बरबादी पर चिंता होती। महंगाई की चिंता होती। बेरोजगारी की चिंता होती। शेयर बाजार, रुपया और आर्थिकी इस सस्पेंस में नहीं चल रहे होते कि आगे क्या होगा? न ही हैदराबाद की सडक़ों पर हिंदू और मुसलमान आमने-सामने होते। राजधानी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल यह नहीं कहते की नरेंद्र मोदी ने विधायकों को खरीदने के लिए आठ सौ करोड़ रुपए रखे हैं।

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Cas, if not chaos then what  सुप्रीम कोर्ट यह नहीं कहता कि लोगों की फोन से जासूसी की जांच में सरकार ने सहयोग नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट की बेंच नागरिक के गले में ईडी के फंदे को जायज बताने की रूलिंग नहीं देती। ऐसे फैसले की थू-थू पर चीफ जस्टिस को फिर सुनवाई नहीं करानी होती। गुजरात में उन हत्यारों का अभिनंदन नहीं होता, जो बाले-बाले जेल से छूट गए। सोचें, चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट, सीबीआई- ईडी-इनकम टैक्स से लेकर राज्यपालों, विधायिका, शासन, राजनीतिक टकराव, अस्थिरता और आपदाओं में बेहाल जिंदगी की 15 अगस्त 2022 के बाद जितनी खबरें सुनने को मिली हैं उन सबका निचोड़ केऑस में देश का होना नहीं तो क्या है!

जैसा नरेंद्र मोदी मोदी ने लाल किले से कहा- अब नई अमृत वेला शुरू है। तो यह वेला बिहार, दिल्ली, झारखंड, हैदराबाद, मुंबई सभी तरफ सियासी टकराव, राजनीतिक अस्थिरता, करो-मरो के माहौल से आगे की अराजकता के क्या संकेत लिए हुए नहीं है!

मैं समझ नहीं पा रहा हू्। पिछले दस दिनों में सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स की अपनी फौज को मोदी सरकार ने जिस ताकत से प्रदेशों में झोंका है उससे भाजपा और मोदी का क्या सधेगा? क्या इनसे 2024 में बिहार में नीतीश और तेजस्वी चुनाव हार जाएंगे?

Opposition to Congress कांग्रेस के विरोध की बेचैनी में केजरीवाल

झारखंड में हेमंत सोरेन और उनके लोगों के यहां छापों से क्या उनके वोट बिखर जाएंगे? दिल्ली में केजरीवाल-मनीष सिसोदिया छापेमारी से क्या डर जाएंगे? वे क्या जनता में खलनायक माने जाएंगे? हैदराबाद में भाजपाई विधायक से हिंदुओं के धर्मयुद्ध के आह्वान से क्या देश हिंदू राष्ट्र हो जाएगा? सडक़ों पर हिंदू बनाम मुस्लिम की खूंखारता को राष्ट्रीय चैनलों पर प्रसारित करवा कर क्या मोदी-शाह तेलंगाना में चंद्रशेखर राव को चुनाव हरा देंगे?

इस सवालों का अर्थ है कि नरेंद्र मोदी अपनी सरकार के जिस सिस्टम से दस साल और राज करने के सपने देख रहे हैं क्या वैसा ही होगा? वे चौबीसों घंटे एक ही मिशन में हैं। कैसे भी हो दिल्ली के तख्त पर स्थायी कब्जा बनाना है। उनके चरणों में सारा देश रहे। हमने वह माहौल, वह मौसम बना लिया है, लोगों के दिल-दिमागो को इतना खोला दिया है हमें कोई नहीं हरा सकता। हम कभी नहीं हारेंगे। हम भारत के 140 करोड़ लोगों के भविष्य का वह बापी पट्टा लिखा कर आए हैं कि जब हम जो चाहेंगे वैसे ही लोग, वैसा ही माहौल, वैसी ही जलवायु होगी।

उनसे जो चाहेंगे नतीजे होंगे!

Opposition to Congress कांग्रेस के विरोध की बेचैनी में केजरीवाल
सोचें, यदि ऐसी रियलिटी होती तो भाजपा विधायक राजा सिंह के क्या पैगंबर पर बोल निकलते? कोर्ट उन्हें फटाफट कैसे छोड़ देता? क्यों वे बाद में भी यह बोले हैं कि-अब हिंदू पीछे हटने वाला नहीं है। आशा करता हूं कि इस धर्मयुद्ध में हर हिंदू मेरा साथ देगा।.. गौर करें भाजपा कार्यकारिणी की हैदराबाद में बैठक हुई थी। उसमें तेलंगाना के मुख्यमंत्री व टीआरएस नेता चंद्रशेखर राव पर मोदी-शाह सबने अटैक किया। तब से लगातार एक के बाद एक तेलंगाना को टकराव की आग में खौलाने का हर संभव काम होता दिख रहा है।

ओवैसी के गढ़ हैदराबाद में राजा सिंह की तीली से पूरे देश में पानीपत की तीसरी लड़ाई की झांकी बनी। ऐसे रोडमैप से आगे जो होना है उसका अनुमान लगा सकते हैं।

यहीं अराजकता, केऑस याकि अव्यवस्था बनवा कर मौके का फायदा उठाना है। बिहार, दिल्ली, झारखंड, महाराष्ट्र से लेकर सब तरफ, सभी मामलों में ऐसा मेस बना डालो, ऐसी अनिश्चितता पैदा कर दो, जिससे किसी को कुछ समझ ही नहीं आए। सब तरफ शासन ठप्प रहे। चौबीसों घंटे अटकलें और तनाव तथा गाली-गलौज।

सब भटके, अपने को हिंदू बनाम मुस्लिम में बंटा पाएं। भ्रष्टाचारियों, परिवारवादियों में अपने को घिरा देखें। करें तो क्या करें?
बावजूद इस सबके यह सत्य नोट रखें कि कोई माहौल को कितना ही खौला दे, पानी को कितना ही उबाले, नतीजे अनप्रेडिक्टेबल होते हैं। घटनाएं बस में नहीं रहती हैं। अव्यवस्था और अराजकता का अंत उन्हीं लोगों के लिए आत्मघाती होता है जो अपनी ताकत में सब कुछ मुमकिन मानते हैं।

 

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