Bisra Report Crime Mystery : पीएम रिपोर्ट में देरी से उलझी क्राइम मिस्ट्री
– सैकड़ों बिसरा थानों में डंप, जो लैब भेजे गए, उनकी रिपोर्ट भी अटकी
– पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अभाव में जिले के 32 थानों में 200 से अधिक बिसरा
– बिसरा रिपोर्ट न मिलने से विवेचना लंबित, पुलिस भी परेशान
Bisra Report Crime Mystery : रायपुर। मृतकों की बिसरा रिपोर्ट ने कई मामलों में क्राइम मिस्ट्री को उलझा रखा है। सालों बाद भी कातिलों के चेहरे से नकाब नहीं हट सका है। लाशें कब्र में दफन कर दी गईं, फिर भी पुलिस शरीर के अंग की निगहबानी कर रही है।
बाकायदा थानों के मालखानों में बिसरा को रखकर सुरक्षा की जाती है, लेकिन अब भी हत्या का राज सरकारी बोतलों में कैद है। इनमें कुछ बिसरा पोस्टमार्टम रिपोर्ट के इंतजार में थानों पर रखे हैं,
तो कुछ फोरेंसिक लैब में डंप हैं। रायपुर जिले के थानों में ऐसे एक-दो नहीं, बल्कि सैकड़ों बिसरा बोतलों में बंद हैं, जिनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को नहीं मिली। कई मामले में फोरेंसिक लैब से रिपोर्ट भी नहीं मिल सकी है।
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ऐसे में न सिर्फ केस की विवेचना रुकी है, बल्कि न्याय पाने के लिए मरने वालों के परिवार की आंखें भी पथरा गई हैं। यही नहीं, अज्ञात लाशों के बिसरा की फोरेंसिक रिपोर्ट न मिलने से उलझी क्राइम मिस्ट्री से भी पर्दा नहीं उठ पा रहा है।
32 थानों में 80 बिसरा डंप
जानकारी के मुताबिक रायपुर जिले के मौदहापारा, अभनपुर, टिकरापारा, पुरानी बस्ती, पंडरी, विधानसभा, सिटी कोतवाली समेत करीब 32 थानों में 80 बिसरा डंप हैं, जिनकी दो-तीन महीने से पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है। रिपोर्ट मिलने के बाद ही बिसरा फोरेंसिक लैब में परीक्षण करने भेजा जाएगा। अब पुलिसकर्मी पीएम रिपोर्ट के लिए मरच्यूरी के चक्कर काट रहे हैं।
60 बिसरा रिपोर्ट फोरेंसिक लैब में डंप
जानकारी के मुताबिक खम्हारडीह, उरला, धरसींवा, मंदिर हसौद समेत करीब 30 थानों से बिसरा जांच करने रायपुर फोरेंसिक लैब भेजा गया, लेकिन महीनों बाद भी रिपोर्ट नहीं मिली हैं। बिसरा रिपोर्ट नहीं मिलने से मामले की जांच भी लंबित पड़ी है।
क्या है बिसरा
जानकारों के मुताबिक बिसरा सुरक्षित रखने के लिए डॉक्टर द्वारा मृतक के शरीर के लीवर का टुकड़ा, किडनी, स्पलीन (तिल्ली), स्टॉमक (खाने की थैली) और छोटी आंत का टुकड़े का अंश निकाला जाता है। उसे बिसरा कहते हैं। फोरेंसिक लैब में इसका परीक्षण किया जाता है।
बिसरा होता है जांच में मददगार
विधि विशेषज्ञों के मुताबिक मृतक के शरीर से उपरोक्त सभी अंग निकालकर सुरक्षित रखे जाते हैं। कांच या प्लॉस्टिक की बोतल में दवाई के घोल में रखे जाते हैं, जिन्हें पुलिस जांच के लिए भेजती है। इन अंगों की जांच से मृतक की मौत की वजह का पता लगाने में काफी हद तक मदद मिलती है।
इसलिए रखा जाता है बिसरा
अगर मौत संदिग्ध हो, दहेज हत्या या साजिश के तहत जहर देकर मारने की आशंका हो तो इससे काफी मदद मिलती है। जहरीली शराब पिलाकर मारने से संबंधित हो तो पुलिस केस दर्ज कर लेती है, लेकिन जब तक इन मामलों में बिसरा रिपोर्ट नहीं आती, तब तक विवेचना लंबित रहती हैं।