Bilaspur High Court : समाज के बुनियादी ढांचे को कमजोर करता है नशा, देश के भविष्य की सुरक्षा के लिए ऐसे अपराधों से सख्ती से निपटा जाए

Bilaspur High Court :

Bilaspur High Court : नशे के सामान से संबंधित अपराधों मे कानूनी प्रक्रिया का हो सख्ती से पालन

Bilaspur High Court :  बिलासपुर। हाई कोर्ट ने कहा है कि नशे के सामान की तस्करी, बिक्री जैसे अपराधों में कानूनी प्रक्रिया का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए, जिससे आरोपियों को लाभ न मिल सके। नशा समाज के बुनियादी ढांचे को कमजोर करता है। देश के भविष्य की सुरक्षा के लिए ऐसे अपराधों से कानून के मुताबिक सख्ती से निपटा जाना चाहिए। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की बेंच ने एनडीपीएस के मामले में अपील पर दिए फैसले में ये टिप्पणी की।

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने जांच में कमजोरी की वजह से ट्रायल कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया है। डीआरआई यानी डायरेक्टोरेट ऑफ रेवन्यू इंटेलीजेंस के अधिकारी को 19 सितंबर 2018 को मुखबिर से सूचना मिली कि ट्रक क्रमांक सीजी 04 7703 का गांजा तस्करी के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी दी।

Bilaspur High Court :  बताया कि इस ट्रक में आंध्रप्रदेश के राजमुंदरी से गांजा लेकर उत्तर प्रदेश ले जाया जा रहा है। विभाग ने अधिकारियों और कर्मचारियों की टीमें बनाईं और छत्तीसगढ़ जीएसटी के कुछ अधिकारियों के साथ घेराबंदी की गई। शेष | पेज 6

ट्रक कोंडगांव के केशकाल घाटी के पास एक ढाबा में खड़ा था। पास ही एक कार क्रमांक यूपी 90 एन 5172 भी खड़ी थी। कार में सवार लोगों की जांच की गई, इसके बाद गवाहों की मौजूदगी में ट्रक की जांच की गई, इसमें 482 बोरी नमक मिला। साथ ही कथित रूप से 36 बैग मिले, जिसमें 1840 ग्राम गांजा था। सभी की जब्ती की।

इसके बाद उनकी व्यक्तिगत तलाशी ली गई। ट्रक को कथित तौर पर पंच गवाहों की मौजूदगी में खोला गया और उसमें 482 बोरी नमक भरा पाया गया। आगे की जांच में, टीम को कथित तौर पर ट्रक में गांजा के रूप में पहचाने जाने वाले 36 आयताकार एचडीपीई बैग मिले। इसके बाद ट्रक को अरोरा धर्म कांटा, एनएच 43, फल मंडी के पास, देवपुरी, रायपुर में तौलने के लिए भेजा गया, जहां कथित तौर पर संदिग्ध प्रतिबंधित सामग्री का वजन किया गया और कुल वजन 1840 ग्राम निकला।

Bilaspur High Court :  इस मामले में यूपी के बांदा निवासी चंद्रशेखर शिवहरे, शिवशंकर गुप्ता के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के विभिन्न प्रावधानों के तहत केस दर्ज किया गया था। साथ ही यूपी के बांदा निवासी बलदेव प्रसाद गुप्ता और ओडिशा के बुद्ध कृशानी के खिलाफ भी एक मामले में एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था।

 

डीआरआई ने जांच में की लापरवाही

 

हाई कोर्ट ने कहा है कि डीआरआई ने एनडीपीएस एक्ट के तहत कानून के अनिवार्य प्रावधानों पर विचार करते हुए जांच नहीं की औरअपने कर्तव्य में विफल रही है। इस कारण भारी मन से हमें अपीलों को स्वीकार करना पड़ रहा है।

हाई कोर्ट ने कहा है कि जांच एजेंसी को अनिवार्य प्रावधानों का सख्ती से पालन करना चाहिए। नशे से जुड़े अपराध समाज के बुनियादी ढांचे को कमजोर करते हैं। इस देश के भविष्य की रक्षा के लिए ऐसे अपराध से कानून के अनुसार सख्ती से निपटना होगा। हाई कोर्ट ने फैसले की कॉपी डीआरआई, नागपुर के क्षेत्रीय इकाई को भेजने के आदेश दिए हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU