Big parties are not fraudulent बड़ी पार्टियां धोखेबाज नहीं होतीं!

Big parties are not fraudulent

Big parties are not fraudulent बड़ी पार्टियां धोखेबाज नहीं होतीं!

Big parties are not fraudulent केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नीतीश कुमार को धोखेबाज बताया। इसलिए क्योंकि उन्होंने भाजपा का साथ छोड़ दिया।

सवाल है कि हमेशा साथ छोडऩे वाली छोटी पार्टी को ही क्यों धोखेबाज बताया जाता है? आखिर जब संबंध टूटते हैं तो दो पार्टियों के टूटते हैं फिर दूसरी या बड़ी पार्टी को धोखेबाज क्यों नहीं बताया जाता है?

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Big parties are not fraudulent भाजपा लगातार नीतीश कुमार की पार्टी तोड़ रही थी और उनको कमजोर कर रही थी इसके बावजूद भाजपा को धोखेबाज नहीं कहा जा रहा है!

नीतीश का संबंध तो सिर्फ भाजपा और राजद से टूटा या जुड़ा है लेकिन भाजपा का संबंध तो देश की दो दर्जन से ज्यादा पार्टियों से जुड़ा और टूटा है तो क्या हर बार दूसरी पार्टी की ही धोखेबाजी रही है या भाजपा की भी कुछ कमी है?

Big parties are not fraudulent  बिहार में भाजपा का संबंध जदयू से टूटा, जुड़ा और फिर टूट गया। झारखंड में आजसू के साथ टूटा फिर जुड़ गया। महाराष्ट्र में शिव सेना से टूटा, जुड़ा और फिर टूट गया।

पंजाब में अकाली दल से, जम्मू कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस व पीडीपी से, हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल से, असम में एजीपी व बीटीपी से, कर्नाटक में जेडीएस से, तमिलनाडु में डीएमके व अन्ना डीएमके से, उत्तर प्रदेश में बसपा, रालोद, सुभासपा आदि से, गोवा में एमजीपी से आदि आदि। इस तरह अनेक राज्यों में भाजपा के संबंध छोटी पार्टियों से टूटते, जुड़ते रहे हैं।

Local vs Global लोकल बनाम ग्लोबल

Big parties are not fraudulent  तो क्या हर जगह सिर्फ सिर्फ छोटी पार्टियों की कमी रही है और वे ही धोखेबाज हैं या भाजपा को भी अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए? कांग्रेस जब सत्ता में थी तब उसकी भी यही स्थिति थी।

उसके भी सहयोगी आते-जाते रहते थे और कांग्रेस के नेता हर बार छोटी पार्टियों को दोषी ठहराते थे।

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