Ramesh gupta
Bhilai News : सहेज कर रखे है हाउसिंग बोर्ड का सिद्दीकी परिवार
Bhilai News : भिलाई। इस्पात नगरी भिलाई में खादी का बना हुआ एक खास तिरंगा झंडा पिछले 48 साल से लगातार और पूरी आन-बान व शान के साथ फहराया जा रहा है। खास बात यह है कि सुपेला क्षेत्र में ध्वजारोहण की परंपरा इसी राष्ट्रीय ध्वज के साथ शुरू हुई और तब से अब तक लगातार इसे दोनों राष्ट्रीय पर्व पर फहराया जा रहा है। अपने इस राष्ट्रीय ध्वज को हाउसिंग बोर्ड का सिद्दीकी परिवार एक धरोहर की तरह सहेज कर रखे हुए है।
Bhilai News : हाउसिंग बोर्ड निवासी और पेशे से आर्किटेक्ट हाजी एमएच सिद्दीकी ने बताया कि उनके पिता नूर हसन सिद्दीकी ने सीमेंट आर्ट वर्क की शुरुआत सुपेला में की थी और आज जहां ट्रैफिक टावर है, वहीं उनकी दुकान ताज सीमेंट क्राफ्ट हुआ करती थी। तब 1975 में पहली बार उनके पिता ने आसपास के सभी व्यवसायियों को एकजुट कर वहां ध्वजारोहण की शुरुआत की थी।
Bhilai News : तब 15 अगस्त 1975 के आयोजन के लिए खादी भंडार से यह ध्वज लाया गया था और इसे पहली बार कांग्रेस सेवादल नेता रामबली सिंह भदौरिया ने फहराया था। इसके बाद साल-दर साल दुर्ग-भिलाई की कई प्रमुख हस्तियों ने इसे फहराया। इनमें दुर्ग की मशहूर शख्सियत नूरजहां बेगम (बेगम बाई), स्वतंत्रता सेनानी व मशहूर आतिशबाज मुंशी रजा, छत्तीसगढ़ साइकिल स्टोर सुपेला के संचालक व तब की सबसे बुजुर्ग शख्सियत रहमान चाचा से लेकर तब के तमाम राजनेताओं ने फहराया।
Bhilai News : इस दौरान अधिवक्ता केएल तिवारी, मशहूर व्यवसायी स्व. भीखम सिंह,केदार गुप्ता, हाफिज समीउल्लाह,डिप्टी सिंह, गौरी शंकर,सिराजुद्दीन, नजमुल हसन ,शिवप्रसाद,सुरेश राम ,कमल प्रजापति,एकरामुल हक़, राजकुमार, उल्फत हुसैन,केदार यादव, अरुण वर्मा, मोहम्मद रसीद, ठाकुर सिंह, मेहंदी, नूर मोहम्मद,अख्तर,विरेन्द्र यादव, पहलवान परिवार, मोहन लाल गुप्ता, बृज जीवन राय, मिश्रा,जाकिर हुसैन, वीरेंद्र ठाकुर सिंह और अदालत चौहान से लेकर आसपास के तमाम व्यवसायी और भिलाई की तमाम व्यक्तित्व हमारे ध्वजारोहण में शामिल होते रहे।
Bhilai News : सिद्दीकी ने बताया कि 1992 में जब तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार ने अतिक्रमण हटाने अभियान चलाया तो सुपेला की दुकानें हटाई गईं। इससे ध्वजारोहण स्थल भी चपेट में आ गया। सिद्दीकी बताते हैं-पिता के बाद मुझे यह राष्ट्रीय ध्वज विरासत में मिला और इसे बाद में फरीद नगर और फिर हाउसिंग बोर्ड में निवास होने की वजह से यहां ईदगाह मैदान में फहराया जाता है। हर साल 26 जनवरी व 15 अगस्त को जब ध्वजारोहण होता है तो इस राष्ट्रीय ध्वज के साथ जुड़ी लगभग 5 दशक की परंपरा को याद कर हम सभी को रोमांच का अनुभव होता है।
इसकी मजबूत सिलाई आज भी बेजोड़
हाजी एमएच सिद्दीकी बताते हैं कि उनके परिवार की धरोहर यह तिरंगा झंडा 24 इंच बाय 36 इंच में बना हुआ है। इसके चारों कोने बहुत ही सलीके के साथ मजबूती से सिले हुए हैं। इसमें खादी का कपड़ा इस्तेमाल किया गया है।
खादी का ऐसा बेहतरीन झंडा इस तरह की सिलाई के साथ अब देखने को नहीं मिलता है।
सिद्दीकी बताते हैं अक्सर झंडा तीन रंग में छपाई वाले मिलते हैं। लेकिन यह झंडा छपाई का नहीं बल्कि सिलाई का है और इसकी तीनों पट्टी मजबूती के साथ सिली हुई है।
रस्सी बांधने की तरफ सफेद पट्टी भी सिली हुई है। इसका नीले रंग का चक्र ही सिर्फ छपा हुआ है बाकी सब अलग-अलग पट्टियां खादी कपड़े की जोड़ करके बनी है। इतने सालों के बाद भी सुरक्षित राष्ट्रीय ध्वज अपने आप में बेमिसाल है।