(Bhilai Breaking) भिलाई के खाते मे एक और पद्मश्री, आंध्र प्रदेश से प्रख्यात न्यूक्लियर साइंटिस्ट प्रो. सूद  को मिला पद्म सम्मान

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रमेश गुप्ता

(Bhilai Breaking) भिलाई के खाते मे एक और पद्मश्री

(Bhilai Breaking)  भिलाई। बीते साल से इस्पात नगरी भिलाई में रह रहे न्यूक्लियर साइंस के वयोवृद्ध शिक्षक प्रो. प्रकाश चंद सूद को इस वर्ष  पद्मश्री  सम्मान  देने की घोषणा हुई है। उन्हें आंध्र प्रदेश राज्य से  यह  सम्मान मिला है।  94 वर्षीय प्रो.  सूद  विगत  दो  दशक  से  आंध्र  प्रदेश  के  पुट्टपर्थी  में रहते  हुए  देश  की नई पीढ़ी को न्यूक्लियर साइंस पढ़ा रहे थे।

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(Bhilai Breaking)  कोरोना  काल के  उपरांत  प्रो. सूद  अपनी  पत्नी उषा सूद के साथ भिलाई  आ  गए  और यहीं के निवासी हो गए हैं। यहां सूर्य विहार में निवासरत उनकी  बेटी  ऋचा  कुमार  एक  निजी स्कूल  में शिक्षक हैं। वहीं  दामाद  राकेश  कुमार  स्टील  अथॉरिटी  ऑफ  इंडिया  लिमिटेड (सेल) से मुख्य  महाप्रबंधक  के  पद  से  हाल  ही  में सेवानिवृत्त हुए हैं।

(Bhilai Breaking)  देश की तीन पीढ़ी को न्यूक्लियर साइंस पढ़ा चुके प्रो. सूद ने पद्मश्री मिलने पर संतोष जाहिर करते हुए कहा है कि यह सम्मान उनके सभी विद्यार्थियों को समर्पित है। उल्लेखनीय है कि प्रो. सूद उम्र के इस पड़ाव में भी अध्यापन कार्य में संलग्न है। उन्हें न्यूक्लियर साइंस पढ़ाते 67 वर्ष बीत चुके हैं और अभी भी इच्छुक विद्यार्थी उनसे मार्गदर्शन लेते रहते हैं।

(Bhilai Breaking)  वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में प्राध्यापक (1969-1988) रहे और यहीं के भौतिकी विभाग में 1976 से 1978 तक विभाग प्रमुख का दायित्व भी निभाया। यहां उन्होंने पहली विश्वविद्यालय आधारित न्यूक्लियर रिसर्च लैब स्थापित करवाई।

जिसका लाभ आज भी शोधार्थियों को मिल रहा है। इसी तरह उन्होंने 80 के दशक में बीएचयू में अपनी तरह की पहली कंप्यूटर सुविधा भी स्थापित करवाई। प्रो. सूद देश-विदेश की विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों के मानद सदस्य व फेलो रहे हैं।

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60 वीं राष्ट्रीय डीएई न्यूक्लियर फिजिक्स सिम्पोजियम 2015 के विशेष सत्र में प्रो. सूद को भारत के ‘वरिष्ठतम और पूरी तरह सक्रिय परमाणु वैज्ञानिक’ का खिताब दिया गया है। उन्होंने  भाभा  परमाणु  अनुसंधान  केंद्र  (बार्क)  मुंबई  को  भी  अपनी  सेवाएं दी हैं।

उनके  350  से  ज्यादा  शोध पत्र अब  तक  प्रकाशित  हो  चुके  हैं  और  उनके  अधीन  अनकों  शोधार्थियों ने  अपनी  पीएचडी  की  डिग्री  के लिए शोध पूरा किया है। प्रो. सूद उम्र के इस पड़ाव में भी समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय हैं।

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