Bhatapara News : हम नहीं सुधरेंगे,शहर को बाजार की दो टूक, प्रशासन चुप, जनप्रतिनिधि लोकार्पण, शिलान्यास में व्यस्त

Bhatapara News :

राजकुमार मल

Bhatapara News : थोड़ी सी भी चूक बन सकती है जानलेवा

Bhatapara News : भाटापारा- हम नहीं सुधरेंगे। बाजार की यह दो टूक सुगम आवाजाही का इंतजार करने वालों के लिए एक चुनौती है क्योंकि ना यातायात जवानों का ध्यान है ना स्थानीय प्रशासन कदम उठा रहा है। इसलिए बेहतर यही होगा कि हम खुद ऐसी सड़क से आवाजाही करें, जहां दिक्कत ना हो।

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त्योहारों के दिन शुरू हो चले हैं। बाजार में अब दीपावली तक भीड़ बनी रहेगी। शुरुआत के दिनों में जैसी अव्यवस्था दिखाई दे रही है, उससे एक बात तो जाहिर हो चुकी है कि दिक्कत दूर करने को लेकर किसी में रुचि नहीं है।

Bhatapara News : ऐसे में राहगीर के लिए सुगम आवाजाही की जिम्मेदारी किसकी है ? जैसे सवालों के बीच सदर बाजार, हटरी बाजार, गोविंद चौक, जयस्तंभ चौक, बस स्टैंड और बलौदा बाजार तिराहा की व्यवस्था सवालों के घेरे में आने लगी है।

सड़क पर दुकानें

सदर बाजार। आवाजाही का सबसे ज्यादा दबाव वाला क्षेत्र। ड्यूटी चार्ट में यहां के लिए प्रतिदिन यातायात जवानों के नाम लिखे जाते हैं लेकिन कहां हैं ?

यह मत पूछिए। दोनों किनारों की दुकानों के बीच ज्यादा से ज्यादा जगह घेरने के बाद जो हिस्सा बच जाता है, उसके बाद पैदल ही चलें तो सही होगा।

Bhatapara News :यदि दो पहिया में हैं तो तय जानिए कि निकलने में अच्छा-खासा समय गंवाना पड़ सकता है। बीच में किसी ने चार पहिया वाहन ला दिया तो खुद को कोसें क्योंकि ना यातायात जवान आएंगे ना स्थानीय प्रशासन से मदद मिलेगी।

यहां पैदल ही सही

हटरी बाजार। ग्रामीण खरीदी क्षेत्र के लिए आदर्श। हाल बेहद खराब। क्योंकि यहां भी सड़क पर ही लगी हैं दुकानें। लिहाजा पैदल ही चलना सही होगा।

कुछ हिस्से तो ऐसे हैं जहां पैदल भी ठीक से नहीं चला जा सकता। मत खोजिए स्थानीय प्रशासन को क्योंकि वह नहीं मिलेंगे।

Bhatapara News : कार्यालय जाने पर सुनेंगे नहीं। मिले तो सवाल आप से होगा कि वहां जाने के लिए किसने कहा था ? अंत में दिलासा भरा जवाब ठीक है, देखेंगे।

यहां सतर्कता वांछनीय

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नांदघाट तिराहा, बलौदा बाजार तिराहा, सिविल हॉस्पिटल तिराहा, रामसप्ताह चौक और बस स्टैंड चौक। यह शहर के ऐसे हिस्से हैं जहां से निकलने के पहले सावधानी बेहद जरूरी है।

किसी भी तरफ से आने वाली वाहन की वजह से थोड़ी सी भी चूक, जानलेवा बन सकती है। इसलिए धीमी गति से चलें क्योंकि मदद के लिए इन जगहों पर कोई नहीं मिलेगा।

व्यस्त हैं यह सब

जिम्मेदार चुप हैं, मौन हैं, हमें क्यों ध्यान देना चाहिए ? ऐसी मानसिकता के साथ जनप्रतिनिधि लोकार्पण, शिलान्यास, शपथ ग्रहण और भेंट मुलाकात में व्यस्त हैं।

वैसे शहर को कभी भी इस वर्ग से सहायता की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए क्योंकि यह सिर्फ चुनाव के समय ही हालचाल पूछने आता है। इसलिए इंतजार कीजिए चुनाव के दिनों का।

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