Bhatapara Market : भंडारण पूर्णता के करीब,  मंदी की राह पर महामाया, बारीक में विष्णुभोग तेजी

Bhatapara Market :

राजकुमार मल

 

Bhatapara Market : भंडारण पूर्णता के करीब,  मंदी की राह पर महामाया, बारीक में विष्णुभोग तेजी

 

Bhatapara Market :

 

Bhatapara Market : भाटापारा– भंडारण पूर्णता की ओर। घटने लगी है कीमत। धारणा- नहीं बढ़ेंगे पोहा क्वालिटी के महामाया धान के भाव। अलबत्ता राईस क्वालिटी के धान में आंशिक तेजी आने लगी है। यह क्रम खरीफ की नई फसल के आवक तक बने रहने की संभावना है।

 

Bhatapara Market :  पिछले डेढ़ माह से जैसी आवक हो रही है, उसमें अब कमी आने लगी है क्योंकि बारिश के दिनों के लिए किया जा रहा भंडारण लगभग पूर्णता की ओर है। ऐसे में खाद्य प्रसंस्करण ईकाइयों की खरीदी कमजोर हो चुकी है। इसलिए भाव टूटते क्रम पर है। इधर किसानों ने खरीफ की तैयारियां चालू कर दी है। इससे भी आवक कमजोर होती नजर आ रही है।

 

टूटने लगी कीमत, घट रही आवक

 

Bhatapara Market :  पोहा क्वालिटी का महामाया धान अब 1900 से 2100 रुपए क्विंटल पर आ चुका है। यह इसलिए क्योंकि पोहा उत्पादन करने वाली ईकाइयों के भंडारगृह पूर्णता की ओर हैं। असर उस आवक पर पड़ने लगा है, जो पिछले डेढ़ माह से बना हुआ है। चालू कारोबारी सप्ताह के तीसरे दिन लगभग 15 से 20 हजार कट्टा महामाया धान की आवक का अनुमान है।

राईस क्वालिटी में गर्मी

 

Bhatapara Market :  प्रांगण में अब राईस क्वालिटी के महामाया धान में खरीदी जोर पकड़ने लगी है। राईस मिलों की निकल रही खरीदी के बाद राईस क्वालिटी का महामाया धान 1950 से 2150 रुपए क्विंटल पर जा चुका है जबकि बेस्ट क्वालिटी के महामाया में 2100 से 2300 रुपए क्विंटल पर खरीदी की खबर है संकेत, तेजी के इसलिए मिल रहे हैं क्योंकि मांग के अनुरूप उपलब्धता कमजोर है।

सिर्फ विष्णु भोग

 

बारीक धान में एचएमटी और सियाराम की आवक शून्य है। सरना में भी स्थिति ऐसी ही है। बारीक धान में केवल विष्णु भोग की ही आवक है लेकिन कमजोर मात्रा और भरपूर मांग के बीच इसमें प्रति क्विंटल कीमत 3500 से 3600 रुपए बोली जा रही है। मंदी की धारणा इसलिए नहीं है क्योंकि चावल मिलों की मांग बनी हुई है।

कब दूर होगी अव्यवस्था

 

बीते डेढ़ माह से बनी अव्यवस्था को दूर करने के लिए प्रयास होते नजर नहीं आ रहे हैं। प्रांगण प्रवेश के लिए घंटों प्रतीक्षा अभी भी किसान कर रहे हैं, तो बाहर के हिस्से के रहवासी अलग से परेशान हैं। रही बात उन कारोबारियों की, जो ठप्प पड़े कारोबार से हताश हैं क्योंकि संस्थानों तक उपभोक्ताओं के लिए पहुंच आसान नहीं रही। यह स्थिति रोजी-रोटी तक को प्रभावित कर चुकी है।

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