Bhatapara Market : मार्केट डाउन, पोहा मिलों की लिवाली अब बेहद कमजोर, असर महामाया पर भी आने लगा नजर

Bhatapara Market :

राजकुमार मल

 

Bhatapara Market :  मार्केट डाउन, तो पोहा डाउन, सांसत में पोहा मिलें

 

 

Bhatapara Market: Market down, Poha mills’ buying is now very weak, the effect is also visible on Mahamaya

 

 

Bhatapara Market :  भाटापारा– डिमांड बेहद कमजोर। पोहा से होता हुआ यह असर महामाया पर नजर आने लगा है। ताजा सौदे 2100 से 2250 रुपए क्विंटल पर होने की खबर है। और नीचे जाने की बनती आशंका को देखते हुए किसान अब आवक धीमी करने लगे हैं।

पिछले दो माह से महामाया धान की कीमत में तेजी का रोज नया भाव, अब उतरते क्रम पर है। पोहा मिलों की लिवाली अब कमजोर होती नजर आ रही है। ऐसे में भाव अब मंदी की राह चल पर चल पड़ा है। गिरती कीमत को थामने की कोशिश तो की जा रही है लेकिन सफलता नजर नहीं आ रही है।

डिमांड डाउन

 

Bhatapara Market : प्रतिस्पर्धी बाजार। पोहा में यह स्थिति इसलिए बनी हुई है क्योंकि साल-दर-साल नई इकाइयां स्थापित हो रहीं हैं लेकिन बाजार जहां का तहां है। ऐसे में इकाईयां, बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश में हैं। यह कोशिश पोहा की टूटती कीमत के रूप में देखा जा रहा है। फिलहाल पोहा में निम्नतम भाव 3750 रुपए क्विंटल और अधिकतम भाव 4150 रुपए क्विंटल पर बोला जा रहा है।

मंदी की राह पर महामाया

 

बारिश के दिनों के लिए पोहा मिलों का भंडारण लगभग पूरा हो चला है। ऐसे में पोहा बनाने वाली इकाइयों की खरीदी तेजी से कम हो रही है। इसलिए प्रांगण और बाहर हो रही खरीदी में महामाया धान का भाव मंदी की राह पर चल पड़ा है। प्रांगण में महामाया में 2100 से 2250 रुपए और बाहर थोड़ा ज्यादा कीमत में सौदा होने की खबर है।

सांसत में पोहा मिलें

 

Bhatapara Market : धान की खरीदी में प्रतिस्पर्धा का सामना कर चुकी पोहा मिलें अब तैयार उत्पादन के लिए भी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रही हैं। यही वजह है कि पोहा में जो भाव बोले जा रहे हैं, उसे संतोषप्रद नहीं माना जा रहा है। सांसत इसलिए भी बनी हुई है क्योंकि 3750 से 4150 रुपए क्विंटल पर भी मांग की मात्रा बेहद कमजोर है।

घटा रहे उत्पादन

 

 

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तैयार पोहा में अपेक्षित मांग नहीं निकलता देख उत्पादन का घटाया जाना चालू हो चुका है। काम के घंटे और कार्य दिवस कम करने जैसी कोशिश भी प्रभावी हैं। देखने वाली बात यह होगी कि यह उपाय कब तक राहत पहुंचाएंगे?

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