Bhatapara : प्रतिबंध, फिर भी बिक रहे करील… उम्र और सफेदी के लिए चूना पावडर

 Bhatapara :

राजकुमार मल

 

 Bhatapara :   प्रतिबंध, फिर भी बिक रहे करील… उम्र और सफेदी के लिए चूना पावडर

 

 

 Bhatapara :  भाटापारा- प्रतिबंध, बांस की कोंपल को काटने और बेचने पर। यह बंदिश इसलिए लगाया गया है ताकि बांस के नए जंगल तैयार हो सकें लेकिन इसके बाद भी चोरी छिपे न केवल कटाई हो रही है बल्कि विक्रय भी किया जा रहा है।

बांस की कोंपल। पहचाना जाता है करील के नाम से। जून अंत से अगस्त के महीनों के बीच बांस के झुरमुट के बीच नए पौधों के लिए कोंपल निकलते है। सब्जी के रूप में बेची जाने के दौरान कीमत जोरदार मिलती है। प्रतिबंध से भाव वैसे भी बढ़े हुए होते हैं। इस बार भी कीमत ने जोरदार बढ़त ली हुई है क्योंकि शहरी उपभोक्ताओं में मांग अपेक्षाकृत बेहतर है।

इसलिए प्रतिबंध

 

 Bhatapara : बांस के नए पौधे बनते हैं कोंपल से, जिसे करील के नाम से पहचाना जाता है। सब्जी के रूप में उपयोग बढ़ने की वजह से होने वाली करील की कटाई से बांस की खेती पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इसलिए वन विभाग ने करील काटने और बेचने पर कड़ा प्रतिबंध लगाया हुआ है।

नए कोंपल आने लगे

 

 

 Bhatapara : जून मध्य से अगस्त अंत तक बांस के झुरमुट में नए कोंपल दिखाई देने लगते हैं। दिखाई दे भी रहे हैं इसलिए न केवल अवैध कटाई चालू हो चुकी है बल्कि सब्जी बाजार में चोरी-छिपे बिक्री भी की जा रही है। कोटा, मरवाही, रतनपुर, कटघोरा और पाली के वनांचल से करील पहुंचने लगा है लेकिन निगरानी शून्य हैं।

घातक है ऐसा करील

 

 Bhatapara : प्राकृतिक रंग धूसर होता है। काटे जाने के बाद करील की प्राकृतिक उम्र कम हो जाती है। इसलिए सफेदी और उम्र बढ़ाने के लिए चूना पाउडर में डुबाया जाता है। इससे यह सफेद हो जाता है। प्राकृतिक उम्र की 3 से बढ़कर 7 दिन हो जाती है। इस प्रक्रिया के बाद करील सेवन के योग्य नहीं रह जाता।

दोहन पर रोक आवश्यक

 

 Bhatapara : बांस की नई कोपलों को करील कहा जाता है। जून से अगस्त माह में यह बांस के झुरमुट में आसानी से देखा जा सकता है। बांस की नई कोमल कोपलों का व्यवसायिक दोहन पूर्णत: प्रतिबंधित है। नई कोपलों के दोहन से प्राकृतिक बांस के वनों का क्षेत्रफल धीरे-धीरे कम होता जा रहा है जिस पर हमें तुरंत रोक लगानी होगी।

 

 

अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

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