Bhagwat Katha : भागवत कथा के प्रथम दिन आचार्य राजेंद्र महाराज द्वारा धुंधकारी एवं ज्ञान वैराग्य की कथा श्रवण कराया

Bhagwat Katha : भागवत कथा के प्रथम दिन आचार्य राजेंद्र महाराज द्वारा धुंधकारी एवं ज्ञान वैराग्य की कथा श्रवण कराया

Bhagwat Katha : भागवत कथा के प्रथम दिन आचार्य राजेंद्र महाराज द्वारा धुंधकारी एवं ज्ञान वैराग्य की कथा श्रवण कराया

सक्ती नगर पंचायत जैजैपुर

Bhagwat Katha : सक्ती नगर पंचायत जैजैपुर में भव्य कलश यात्रा के साथ श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ कथा महोत्सव का शुभारंभ किया गया । नगर के मध्य सामुदायिक भवन से विशाल कलश यात्रा निकाली गई

Bhagwat Katha : जिसमें नगर के सैकड़ों माताओं और कन्याओं ने बड़ी श्रद्धा के साथ भाग लिया और कलश अपने सिर पर धारण कर सनातन धर्म की रक्षा हेतु वरुणदेव का पूजन किया

इस यात्रा में करमा नृत्य के साथ नगर वासियों ने ध्वज पताका हाथों धारण कर श्री राधे नाम का जयकारा करते हुए नगर के मुख्य मार्गों से होकर नगर देवताओं का पूजा अर्चना भी कर कथा आयोजन स्थल पर पहुंचकर आचार्य के द्वारा वेद मंत्रोच्चार के साथ विधियों की प्रतिष्ठा और महापुराण की पूजा कराई गई ।

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श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के प्रथम दिन व्यासपीठ से छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध भागवताचार्य राजेंद्र जी महाराज द्वारा भागवत माहात्म्य का विस्तार से वर्णन किया गया , उन्होंने श्रोताओं को बताया कि श्रीमद् भागवत इस संसार का सर्वश्रेष्ठ सत्कर्म है ,

जो देव दुर्लभ है , यह किसी भी देवलोक में नहीं हुआ और नहीं किसी भी देवता को श्रीमद्भागवत के यजमान बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है , यह सत्कर्म तो केवल मृत्यु लोक में मनुष्य को ही उनके भाग्य के उदय होने पर प्राप्त होता है । श्रीमद् भागवत का यजमान बनना केवल पुरुषार्थ का विषय नहीं है ।

भागवत ज्ञान सत्कर्म के पुण्य प्रताप से राजा परीक्षित को सद्गति की प्राप्ति हुई थी , भक्ति के दोनों बेटे ज्ञान और वैराग्य को तरुण अवस्था की प्राप्ति हुई थी , और भयानक प्रेत योनि में पड़ा हुआ धुंधकारी मोक्ष को प्राप्त हुआ था।

श्रीमद्भागवत के 12 स्कंध भगवान के 12 अंग है , 335 अध्याय और 18000 ईस्लोक जो हमारे जीवन को धन्य करते हैं । यह भागवत महापुराण साक्षात भगवान श्री कृष्ण चंद्र जी का वांग्मय स्वरूप है , जिसका दर्शन स्पर्श और श्रवण परम कल्याणकारी है , भागवत का अर्थ भक्ति , ज्ञान , वैराग्य और तप है जो इसके आश्रय लेने वाले को प्राप्त होता है ।

अश्वमेध ,यज्ञ और अलग-अलग कई कुंड वाले यज्ञ श्रीमद्भागवत के 16 में एक कला के बराबर भी नहीं है । श्रीमद् भागवत का श्रवण करने से पूर्वजों को तृप्ति और शरणागति मिलती है , सद्गति का कारण भी बनता है ।

आचार्य द्वारा भागवतमाहात्म्य , भक्ति देवी के दोनों पुत्र ज्ञान और वैराग्य की जरा अवस्था दूर होना , गोकर्ण वृतांत और धुंधकारी की कथा श्रद्धालु गण को श्रवण कराई गई ।

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नगर के सैकड़ों लोगों ने प्रथम दिन कथा श्रवण कर पुण्य लाभ तथा मधुर संगीत के साथ संकीर्तन और सत्संग का आनंद प्राप्त किया ।
भागवत महोत्सव के आयोजक सोनी परिवार द्वारा भागवत प्रेमियों अधिक से अधिक संख्या में कथा श्रवण करने के लिए आमंत्रित किया गया

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