Bhagirathi Ganga : श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिवस
Bhagirathi Ganga : भानुप्रतापपुर। भागीरथी गंगा के समान ही श्रीमद्भागवत कथा है, जिसे सुनकर जीव अपने जीवन को सफल व सार्थक बना सकते है। श्री सांई मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन पंडित अविनाश जी महराज ने कथा के माध्यम से भक्तजनों को बताया कि कर्म से भाग्य बदला जा सकता है। इसलिए मनुष्य को अपने जीवन मे अच्छे कर्म करना चाहिए। वर्तमान कलियुग में देखा जाए तो मानव अपने स्वार्थ सिद्ध के लिए पूजन के बहाने व अन्य कारणों से जीव हत्या करता है। ईश्वर किसी जीव नही केवल भक्तिभाव देखता है।
Bhagirathi Ganga : कथा के माध्यम से बताया कि ईश्वर के 24 अवतार हुए जिनमे 6 वे अवतार ऋषवदेव है जिनके 100 पुत्र हुए उन्ही में से एक भरत है जो आगे चलकर जड़भरत हुए। राजाऋषवदेव ने एक दिन अपने सभी पुत्रो को बुलवाया और पूछा कि आपको यह शरीर क्यो मिला है, और इसका उपयोग कैसे करोगे, पुत्रो का जवाब था भौतिक सुख सुविधा भोगना तब महराजऋषवदेव ने कहा किमानव जीवन बड़ी ही मुश्किल से प्राप्त होता है, इसलिए ज्यादा से ज्यादा समय ईश्वर की स्मरण व भक्ति में लगाना चाहिए, साधु संतों की सेवा कीर्तन भजन कर बीतना चाहिए। क्योंकि मनुष्य जीव ही अपने अगले व पिछले जीवन के योनि को सुधार व संवारा जा सकता है।
यहपशु व अन्य जन्म पर नसीब नही हैं। धरती में पाप बढ़ते जा रहे है, आज प्रकृति से भी लोग छेड़छाड़ कर रहे है जिसका नतीजा कोरोना संक्रमण है।इस संक्रमण के कारण आज कई लोग काल के गाल में समा गए है वही चीन में स्थिति भी भयावह बनी हुई है जो हम सभी ने देखा है, आने वाले दिनों में भी इनका असर देखने को मिलेगा।
Bhagirathi Ganga : जीवन का कब अंत हो जाये, कब किसका अंतिम समय आ जाये किसी को नही मालूम अंत समय मे ईश्वर का नाम भी नही आता है इसलिए समय रहते अपने जीवन को ईश्वर की भक्ति भजन में लगा देना चाहिए।राम के भरोसे रहोगे तो जिंदगी में किसी और सहारे की जरूरत नही पड़ेगी। आज जड़भरत,रहुगढ़ संवाद, नरको का वर्णन, अजामिल व प्रह्लाद चरित्र की कथा भी विस्तार पूर्वक बताई गई।