Belgian cinema : बेल्जियम का सिनेमा

Belgian cinema :

अजित राय

Belgian cinema बेल्जियम का सिनेमा

 

Belgian cinema विश्व में सिनेमा (1895) का आविष्कारक माने जाने वाले फ्रांस के लूमिएर बंधुओं से भी करीब साठ साल पहले बेल्जियम के घेंट विश्वविद्यालय ( ब्रूसेल्स) के भौतिकशास्त्री जोसेफ प्लाटेऊ 1836 में हीं गतिशील तस्वीरों को दिखाने के लिए ‘ स्टोबोस्कोपिक ‘ नामक यंत्र का आविष्कार कर चुके थे। हालांकि बेल्जियम में पहली बार एक मार्च 1896 को ब्रूसेल्स की किंग्स गैलरी में फिल्म दिखाई गई थी।उसी समय एक फ्रेंच व्यवसायी चार्ल्स पाथे और उसके सहायक अल्फ्रेड मशीन ब्रूसेल्स में पहली फिल्म निर्माण कंपनी खोली। इसी वजह से इस देश में फिल्म उद्योग पर कई दशकों तक फ्रेंच लोगों का ही वर्चस्व रहा, हालांकि यहां डच और जर्मन भाषी लोगों की भी अच्छी खासी संख्या है। बेल्जियम में फिल्में तो सौ सालों से बनती रही है पर पहली बार जब 58 वें कान फिल्म समारोह (2005) में डारडेन बंधुओं ( ज्यां पियरे और लुक डारडेन) की फिल्म ‘ ल इनफैंट ‘ ( द चाइल्ड) को बेस्ट फिल्म का ‘ पाम डि ओर ‘ पुरस्कार मिला तो दुनिया का ध्यान यहां की फिल्मों की ओर गया।

Belgian cinema इस फिल्म ने बेल्जियम के सिनेमा का एक नया व्याकरण रचा और इटेलियन न्यूवेव सिनेमाई दौर की वित्तोरियो डे सिका की विश्व प्रसिद्ध फिल्म ‘ बायसिकिल थीव्स ‘ (1948) के 57 वर्ष बाद बच्चे एक बार फिर से सिनेमा के केंद्र में आए और उन्हें एक नया नायकत्व मिला। यह सिलसिला आज भी जारी है और बाल मनोविज्ञान बेल्जियम के सिनेमा की नई पहचान बन चुका है। इस बात का ताजा प्रमाण है कि इस बार 95वे एकेडमी अवार्ड ( आस्कर) के लिए बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी में जो पांच फिल्में शार्टलिस्ट होकर फाइनल राउंड के लिए नामांकित हुई है उनमें बेल्जियम के लूकास धोंट की’ क्लोज ‘ भी है जो प्रबल दावेदार मानी जा रही है। अमेरिका के लास एंजिल्स शहर , (जहां के फिल्म उद्योग को हालीवुड भी कहा जाता है), के भव्य डोल्बी थियेटर में 12 मार्च 2023 की शाम 95 वें आस्कर अवार्ड प्रदान किए जाएंगे।

बेल्जियम के लुकास धोंट की फिल्म ‘ क्लोज ‘ बारह तेरह साल के दो किशोरों लेवो और रेमी की सघन दोस्ती, अलगाव और स्मृतियों की कहानियां है जो बच्चों की अपनी दुनिया में हमें दूर तक ले जाती है । बच्चों के मनोविज्ञान पर बहुत गहराई से विचार किया गया है। इस फिल्म में एक दोस्त की असमय मृत्यु के बाद दूसरा दोस्त भयानक अपराध बोध से ग्रस्त हो जाता है और इसकी गुत्थी धीरे धीरे खुलती हैं। इस फिल्म को कान फिल्म समारोह (2022) का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पुरस्कार ‘ ग्रैंड प्रिक्स ‘ मिल चुका है।

Belgian cinema डारडेन बंधुओं ( ज्यां पियरे और लुक डारडेन) की ही एक अद्भुत फिल्म ‘ यंग अहमद ‘ है जिसके लिए उन्हें 72 वें कान फिल्म समारोह (2019)में बेस्ट डायरेक्टर का पुरस्कार मिल चुका है। ” यंग अहमद ” दुनिया भर में कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनों द्वारा जेहाद के नाम पर बच्चों के दिमाग में हिंसा का जहर घोलने की साज़िशों के खिलाफ एक सिनेमाई प्रतिरोध है। तेरह साल का अहमद एक मौलवी के चक्कर में जेहादी बनना चाहता है।

वह जेहाद के अभ्यास के लिए अपनी ईसाई टीचर की हत्या का असफल प्रयास करता है। उसे सुधारने के लिए एक फार्म हाउस में रखा जाता है। फार्म हाउस के मालिक की बेटी लूइस एक दिन उसे प्यार से चूम लेती है। अहमद को लगता है कि वह इस चुंबन से अपवित्र हो गया और उसका जेहाद खतरे में पड़ गया। वह लूइस को कहता है कि उसके चुंबन से वह अपवित्र हो गया है इसलिए वह इस्लाम कबूल कर लें जिससे सब ठीक हो जाए। अहमद की मां, टीचर, जज, वकील, मनोवैज्ञानिक, सहपाठी, दोस्त – किसी को सपने में भी यकीन नहीं हो सकता कि अहमद जैसा मासूम बच्चा सच्चा मुसलमान बनने के लिए दूसरे की हत्या करने का निर्णय ले सकता है। फिल्म यूरोप में मुस्लिम बच्चों के मनोविज्ञान को सादगी से सामने लाती है।

Belgian cinema डारडेन बंधुओं को अभी पिछले साल कान फिल्म फेस्टिवल (2022) के 75 साल पूरे होने पर ‘ प्रिक्स 75’ का विशेष पुरस्कार उनकी नई फिल्म ‘ टोरी एंड लोकिता’ के लिए मिला था। इस फिल्म में अफ्रीका से बेल्जियम भागकर आई एक किशोरी लोकिता अपने छोटे भाई टोरी के साथ मुश्किल जीवन संघर्ष करती हुई अंततः मारी जाती है। फिल्म के अंत में उसके शव को दफन करने से पहले उसका छोटा भाई एक मार्मिक और हृदयविदारक वक्तव्य देता है। फिल्म यूरोप में अवैध बाल श्रमिकों की बदहाल दुनिया मे ले जाती है जहां हर कोई उनका शोषण करने को तैयार बैठा है।

‌ 75 वे कान फिल्म समारोह में ही बेल्जियम के फेलिक्स वान गोएनिंजेन और शरलोट वांडेरमियर को उनकी फिल्म की फिल्म ‘ दि एट माउंटेन ‘ के लिए जूरी प्राइज से नवाजा गया था। यह फिल्म दो अलग अलग पृष्ठभूमि के किशोरों की दोस्ती के माध्यम से गांव और शहर का द्वंद्व रचती है।पहाड़ी गांव का ब्रूनो और शहर से आया पिएत्रो जवान होकर अपनी अभूतपूर्व मित्रता में घर और परिवार की नई परिभाषाएं गढ़ने की कोशिश करते हैं।

इस समय बेल्जियम जिस फिल्म की चर्चा दुनिया भर में हो रही है, वह है आदिल अल अरबी और बिलाल फल्लाह की सच्ची घटनाओं पर आधारित ‘ रेबेल।’ यह एक हृदयविदारक साहसिक फिल्म है जो आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ( आइएसआइएस) के पूरे प्रपंच को परत दर परत बेपर्दा करती है। ( क्रमश:)

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