(Balodabazar Breaking) 40 से 50 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा , जांच के लिए कसडोल पहुँची एसडीएम की टीम, देखिये Video

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(Balodabazar Breaking) 40 से 50 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा

(Balodabazar Breaking) बलौदाबाजर। बलौदाबाजर जिले के कसडोल स्थित स्व. दौलत राम शर्मा महाविद्यालय के प्राभारी प्राचार्य मेजर एच.के. गजेंद्र के ऊपर 40 से 50 लाख रुपये का गबन का आरोप महाविद्यालय के जनभागीदारी के अध्यक्ष रामखिलावन डहरिया ने लगाया है। रामखिलावन डहरिया ने गमन की शिकायत भेंट मुलाकात कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से किया था जिसके बाद कलेक्टर ने गबन की जांच करने कसडोल एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार की टीम गठित किया है और आज सुबह से जांच अधिकारी महाविद्यालय पहुंचे है और जांच कई घण्टों तक चलता रहा।

(Balodabazar Breaking) जनभागीदारी के अध्यक्ष रामखिलवन डहरिया ने आरोप लागते हुए कहा कि प्राचार्य मेजर गजेंद्र सिंह ने 6 कंप्यूटर खरीदे है मैं बताना चाहूंगा कि अच्छा से अच्छा कंप्यूटर 35 से 36 हजार में मार्केट में मिल जाता है जिसको उन्होंने एक कंप्यूटर का 56 हजार का बिल लगाया है और 6 कंप्यूटर का 3 लाख 36 हजार रुपयों का आहरण किया गया है मैं 2020 में जनभागीदारी का अध्यक्ष बना हूं अभी तक सिर्फ दो ही बैठक ली गई है और उस बैठक में प्राचार्य अपने आप को लाभ पहुंचाने के लिए कंडिका 5 को चेंज कर दिया गया है मैंने आरटीआई के माध्यम से यह सब जानकारी निकलवाई तब मुझे पता चला लगभग 40 से 50 लाख का गबन का मामला है ।

(Balodabazar Breaking) वही इस मामले में महाविद्यालय के प्राचार्य मेजर एच के गजेंद्र ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार और बेबुनियाद बताया है। श्री गजेंद्र ने बताया कि जांच कमेटी आई है जांच कर रही है और जो बिल वाउचर , कैशबुक , पासबुक का मिलान किया जा रहा है अगर गलत पाया जाएगा तो अलग बात है लेकिन सही है तो सही है।

(Balodabazar Breaking) सब कमीशन मांगा गया है हर बात पर कमीशन मांगा जाता है जो काम शासकीय नियम के तहत किया जाना है उनके द्वारा कहा जाता है कि मैं करूँगा खरीदी मैं करूंगा जबकि हमारी टीम बनी हुई है क्रय समिति बनी हुई हैं अनुशासन समिति बनी हुई जिसके द्वारा हमें कराना जाना होता है मानसिक दबाव बनाया जा रहा है परेशान किया जा रहा है।

जांच अधिकारी कसडोल एसडीएम ने बताया की जिले के कलेक्टर महोदय के द्वारा मुझे जांच के लिए पत्र मिला था तो उनके आदेश के परिपालन में एक टीम बनाया गया था जिसमें तहसीलदार , नायब तहसीलदार और कुछ वित्त विभाग के कर्मचारी थे जांच भी पूरा नहीं हो पाया है जांच पूरा करने के बाद कलेक्टर साहब को रिपोर्ट भेजेंगे शिकायत मिली थी कि कुछ राशि खर्च करने में अनिमितता थी।

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