Antagarh Forest Range 60 नग साल वृक्षों का अवैध कटाई : फर्जी दस्तावेज तैयार कर अब मामले दबाने के प्रयास में वन अधिकारी

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Antagarh Forest Range मामला अंतागढ़ वन परिक्षेत्र : जवाबदार वन अफसरों ने नियम विरुद्ध 60 नग साल वृक्षों की अवैध कटिंग

 

 

Antagarh Forest Range भानुप्रतापपुर। अंतागढ़ वन परिक्षेत्र में वन विभाग के जवाबदार अधिकारी भारत सरकार द्वारा अनुमोदित कार्य आयोजन के प्रावधानों के विपरित जाकर 330 नग वृक्षो का विदोहन योजना गलत तरीके से तैयार करते हुए 60 नग साल वृक्षों का अवैध कटाई करा दिया गया। फर्जी दस्तावेज तैयार कर अब मामले को दबाने में लगे हुए है।

आपको बताते चलते है कि कांकेर जिला के भानुप्रतापपुर पूर्व वनमण्डल का कार्य आयोजना 10 वर्षों के लिए प्रचलित है। जिसके प्रावधान अनुसार वर्ष 2022-23 में अतागढ़ परिक्षेत्र में एस.सी. आई कूप IV कलेपरस का विदोहन किया जाना था। जिसके अंतर्गत कूप -IV कलेपरस पी. एफ. 958 एवं पी.एफ.959 का विदोहन योजना समयावधि में स्वीकृत कर कूप कटाई कार्य पूर्ण करना था लेकिन वन
परिक्षेत्र अधिकारी अंतागढ़ सालिक राम यादव से लेकर मुख्य वन संरक्षक कांकेर वृत्त कांकेर के मैचियो के द्वारा कूप कटाई के स्थाई निर्देशों का पालन नहीं किया गया।

 

नियमतः देखा जाए तो सूचना के अधिकार निकाले गए अभिलेख के अनुसार

1. कूप का मार्किंग कार्य परिसर रक्षक बोदानार द्वारा किया गया है। जबकि नियमानुसार मार्किंग कार्य एस
डी.ओ. और रेंजर के निगरानी में कराया जाना चाहिए और उसका सत्यापन उक्त अधिकारियों द्वारा किया
जाकर प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाना चाहिए लेकिन एस.डी.ओ और रेंजर द्वारा कूप का सत्यापन ही नहीं
किया गया है। जिससे अनुमानित उत्पादन पूर्णतः संदिग्ध है।

2 विदोहन योजना को वनमण्डल पूर्व भानुप्रतापपुर की भौगोलिक स्थिति तथा कूप मार्किंग पश्चात परिक्षेत्र अधिकारी अतागढ द्वारा तैयार किया जाना था जबकि वनमंडलाधिकारी द्वारा बिना गणना पत्रक के विदोहन  योजना तैयार कर दिनांक 30.05.2023 को अनुमोदन हेतु मुख्य वन संरक्षक काकेर को पत्र क्रमांक / 1324 के द्वारा भेजा गया है। यह किस प्रकार संभव हुआ है, संदेहजनक है!!! इसे मुख्य वन संरक्षक कांकेर वृत्त द्वारा अपने पत्र क्रमांक / 5008 दिनांक 27.07.2023 द्वारा अनुमोदित कर विदोहन की अनुमति भी दे दी गई
हैं।

सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी में ज्ञात हुआ कि वन परिक्षेत्र अधिकारी अंतागढ द्वारा विदोहन योजना तैयार कर अपने पत्र क्रमांक / 593 दिनांक 02.06.2023 द्वारा उप वनमंडलाधिकारी अंतागढ शिवेंद्र भगत के माध्यम से प्रेषित किया है। जिसे उप वनमंडलाधिकारी अंतागढ़ ने अपने पत्र कमांक / 417 दिनांक 06.06.2023 द्वारा वनमंडलाधिकारी पूर्व भानुप्रतापपुर जाधव श्री कृष्णा को प्रेषित किया है। इस प्रकार वनमंडलाधिकारी द्वारा विदोहन योजना तैयार करने हेतु आवश्यक जानकारी के बगैर स्वयं नियमों को ताक में रखकर विदोहन योजना अपने ही कार्यालय में तैयार कर विदोहन योजना के अनुमोदन हेतु प्रेषित किया गया है।

3 मुख्य वन संरक्षक द्वारा अपने पत्र क्रमांक/5008 दिनांक 21/06/2023 द्वारा विदोहन योहना को अनुमोदित कर विदोहन की अनुमति प्रदान की गई है। जिसे वनमंडलाधिकारी द्वारा 04 माह पश्चात् पत्र क्रमांक / 5754 दिनांक 10.10.2023 को विदोहन कार्य प्रारम्भ करने के लिए परिक्षेत्र अधिकारी को प्रेषित किया गया है। जिससे स्पष्ट है कि वनमण्डलाधिकारी द्वारा जानबूझकर कूप कटाई जैसे कार्यों को गम्भीरता से नहीं लिया गया है। जिसके कारण क्षेत्र में 60 नग साल के हर-भरे 150 वर्ष पुराने वृक्षों की अवैध कटाई की गई।

4. उक्त कूप क्षेत्र में बिना मार्किग हैमर प्राप्त किए मार्किंग कार्य पूर्ण कराया गया है तथा मार्किंग कार्यों का सत्यापन किए बगैर प्रमाणक तैयार कर मजदूरी भुगतान के नाम से राशि का गबन किया गया है। चौकाने वाली बात यह है कि जब मार्किंग हैमर वनमण्डल कार्यालय से जारी ही नहीं हुआ था तो मौके पर मार्किंग कार्य कैसे कराया गया होगा तथा मार्किंग कार्य का प्रमाणक तैयार कर किसे भुगतान किया जाना बताया जा रहा है? सदेहास्पद है।

अतः उपरोक्त गम्भीर बिन्दुओं पर कार्यवाही हेतु शासन स्तर पर पत्राचार करने का कष्ट करें ताकि शासन को कूप कटाई के नाम पर हानि ना हो, पर्यावरण की हानि तो वन विभाग से सभाली नहीं जा रही कम से कम इससे प्राप्त होने वाले राजस्व की हानि तो शासन को न हो ।
वर्तमान में इस कूप कटाई के मामले को अवैध कटाई का रूप देने में वन विभाग के आला अधिकारी / कर्मचारी जुटे हुए हैं। इस बात की सत्यता इसी बात से प्रमाणित होती है कि घटना के घटित होने के दिनांक 12.12.2023 से लेकर आज दिनांक तक वहां पदस्थ दोषी / संदिग्ध अधिकारी कर्मचारियों को उनकी पदस्थिति से पृथक नहीं किया गया है या हटाया नहीं गया है।

 

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संबंधित कर्मचारियों द्वारा मौके पर सबूतों के साथ छेड़खानी करने के लिए स्वयं मुख्य वन संरक्षक, वनमंडलाधिकारी, उप वनमण्डलाधिकारी और रेजर द्वारा संरक्षण दिया जाकर अपने कृत्यों को छुपाने का प्रयास किया जा रहा है किन्तु कागजों में
फंसे अधिकारी केवल वनरक्षक को निलंबित कर खानापूर्ति करके प्रकरण को दबा रहे है।

इससे मामले की वर्तमान में चल रही जांच और विभाग की गतिविधियों भी संदेहास्पद प्रतीत हो रही है।

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