Agriculture latest news : खेतों में ‘काई’ की दस्तक से किसानों में बढ़ी चिंता

Agriculture latest news :

राजकुमार मल

Agriculture latest news : कंसे और बढ़वार पर संकट

Agriculture latest news : भाटापारा- अतिरिक्त पानी की निकासी में लगे किसानों को अब ‘हरी काई’ भी हटानी होगी क्योंकि जल-जमाव वाले खेतों में यह तेजी से फैल रही है।

प्रबंधन में लापरवाही से ना केवल खरीफ की फसल को नुकसान होगा बल्कि रबी फसल पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।

वर्षा जल-जमाव वाली उच्च भूमि में स्थित खेतों में शैवाल ने दस्तक देनी चालू कर दी है।

‘काई’ शब्द से पहचान बनाने वाला यह शैवाल अब किसानों की चिंता बढ़ा रहा है क्योंकि इसने पौधों की बढ़वार पर रोक लगानी चालू कर दी है।

फलस्वरुप नए कंसे नहीं आ रहे हैं। असर कमजोर उत्पादन के रूप में आ सकता है।

क्या है काई ?

Agriculture latest news : शैवाल। सामान्य बोलचाल की भाषा में इसे काई के नाम से पहचाना जाता है। क्लोरोफिल के तत्व होने की वजह से इसका रंग हरा होता है।

नम अथवा जल-जमाव वाली जगह में तेजी से फैलने वाली यह काई, अपना भोजन सूर्य की रोशनी से हासिल करती है।

काला, हरा और भूरे रंग वाली काई में हरे रंग की काई को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाला माना गया है।

ऐसे पहुंचाती है नुकसान

जल-जमाव वाले खेतों में यह तेजी से फैलती है। धान के पौधे तिरछे होने लगते हैं और नए कंसे नहीं निकलते।

इसकी वजह से बालियों की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है। इतना ही नहीं फसल पर छिड़का जाने वाला उर्वरक भी पौधों तक नहीं पहुंचता।

क्योंकि यह परत के रूप में फैली हुई होती है।

यह फैलाव पौधों की जड़ों तक सूर्य का प्रकाश और ऑक्सीजन पहुंचाने की राह में अवरोध बनता है और पौधे सही ग्रोथ नहीं ले पाते।

सर्वाधिक हानि इस तरह

also read : CG Latest News Today : बच्चो को अपने भविष्य को लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय के सामने देना पड़ रहा है धरना

प्रबंधन नहीं किए जाने पर इसका अवशेष रबी फसलों तक खेतों में बना रहता है।

पानी मिलने पर यह फिर से अपनी पूर्व स्थिति में आ जाता है और ठीक खरीफ की तरह रबी फसल को भी नुकसान पहुंचाता है।

खेतों में आम समस्या बन रही काई के और भी कई नुकसान हैं। जिनसे बचने के लिए सही समय पर सही प्रबंधन ही अंतिम उपाय है।

ऐसे करें समाधान

कृषि वैज्ञानिकों ने काई प्रबंधन के जो उपाय बताए हैं उनमें पहला यह है कि काई जमा वाले खेत का पानी पूरी तरह खाली करना होगा।

लेकिन इसे लेकर ज्यादा रुझान नहीं है क्योंकि यह उपाय सीधे-सीधे उत्पादन पर असर डालता है। दूसरा उपाय कॉपर सल्फेट का उपयोग है।

इसकी 500 से 600 ग्राम मात्रा को पीसने के बाद कपड़ों में पोटली बनाकर प्रभावित क्षेत्र में पांच से छह जगह पर समान दूरी में रखें।

इससे काई की परत, कई हिस्सों में फट जाएगी और निश्चित समय के बाद स्वमेव नष्ट हो जाएंगे।

नीला थोथा सही उपाय

काई प्रबंधन के लिए नीला थोथा का उपयोग सही उपाय है।

जब तक पूरा खेत काई रहित ना हो जाए, तब तक उर्वरक का छिड़काव ना करें क्योंकि उर्वरक के तत्व फसलों तक नहीं पहुंचेंगे।

-डॉ. युष्मा साव,असि. प्रोफेसर, टीसीबी कॉलेज ऑफ एग्री एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

also read : https://jandhara24.com/news/107254/baba-bhoramdev-who-sits-in-the-captivating-valley/

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU