Add india ‘भारत जोड़ो’: कर्नाटक में प्रवेश करते ही राहुल की परीक्षा
Add india बेंगलुरु ! राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुक्रवार को कर्नाटक पहुंच चुकी है और उनकी असली परीक्षा भारतीय जनता पार्टी के इस गढ़ से शुरू होगी जहां भाजपा ‘कांग्रेस भ्रष्टाचार’ और ‘प्रतिबंधित कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पीएफआई का समर्थन’ जैसे मुद्दों को लेकर अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस को घेरने की कोशिश कर रही है।
Add india कांग्रेस को निशाना बनाने के लिए भाजपा का यह अभियान कांग्रेस पार्टी द्वारा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की सरकार के खिलाफ क्यूआर-कोड पेसीएम अभियान शुरू करने के बाद आया है, जहां पर कांग्रेस ने उनपर सार्वजनिक कार्यों के लिए 40 प्रतिशत कमीशन लेने का आरोप लगाया है।
Dadasaheb Phalke Award आशा पारेख को किया दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित
Add india कर्नाटक के लिए भाजपा भी अपनी लड़ाई की रणनीति तैयार कर चुकी है, जहां उसने कर्नाटक में प्रवेश बिंदु गुंदलुपेट में स्वागत पोस्टर लगाकर श्री राहुल गांधी के नेतृत्व वाली ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर हमला करना शुरू कर दिया है, जिसके कैप्शन में श्री गांधी को नेशनल हेराल्ड मामले में जमानत पर एक नेता के रूप में दिखाया गया है।
Add india सत्तारूढ़ भाजपा कांग्रेस नेताओं पर कटाक्ष करने से यहां नहीं रुकेगी वह कनकपुरा, डोड्डालाहल्ली और कोडिहल्ली में उनकी संपत्तियों पर सीबीआई के ताजा छापेमारी का भी उल्लेख कर रही है।
इसने श्री सिद्धारमैया के मुख्यमंत्री रहने के दौरान सामने आए भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों पर भी निशाना साधा है। भाजपा के वर्तमान मुख्यमीं बोम्मई पहले ही 2023 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेसी नेताओं का भ्रष्टाचार उजागर करने की बात कर चुके हैं।
इसलिए, कर्नाटक के लोगों को राज्य में श्री गांधी की इस यात्रा में दिलचस्प मोड़ दिखेगा और प्रदेश की जनता को कांग्रेस को सत्ता सौंपने वास्तव में मुश्किल होगा, क्योंकि उनके कुछ नेता नेशनल हेराल्ड घोटाले सहित कई हाई-प्रोफाइल भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे हुए हैं और गिरफ्तारी से बचने के लिए जमानत पर हैं।
पीएफआई सदस्यों के खिलाफ सत्ता में रहने के दौरान कांग्रेस द्वारा मामले वापस लिए जाने को लेकर भाजपा हमेशा हमलावर रही है। भाजपा सरकार द्वारा 2008-2013 के दौरान पीएफआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज किए गए कुल 1,600 मामलों में से 176 मामलों को सिद्धारमैया सरकार ने वापस ले लिया था।