Achanakmar Tiger Reserve पन्ना की तरह प्रेरित करें, अचानकमार टाइगर रिजर्व में बढ़ेगी संख्या
Achanakmar Tiger Reserve बिलासपुर। अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबंधन बाघों की संख्या बढ़ाने का हर संभव प्रयास कर रहा है। अब विशेषज्ञों की मदद भी ली जा रही है। इसके तहत ही एक कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें अतिविशिष्ट अतिथि सेवानिवृत्त आइएफएस व पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर आर श्रीनिवास मूर्ति थे। उन्होंने प्रबंधन को बताया कि बाघ कैसे बढ़ेंगे। प्रबंधन ने उनके दिए सभी सुझावों को गंभीरता के साथ पालन करने का आश्वासन भी दिया।
Achanakmar Tiger Reserve अचानकमार टाइगर रिजर्व लोरमी में बाघों की सुरक्षा, उनका संरक्षण कर संख्या में वृद्धि करने तथा नए बाघों के री-इंट्रोडक्शन और सतत मानिटरिंग के संबंध में छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक सुधीर कुमार अग्रवाल की ओर से लगातार निर्देश दिए जा रहे हैं।
उन्हीं के निर्देश पर शुक्रवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमे व्याख्यान और मार्गदर्शन के लिए अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में आर श्रीनिवास मूर्ति को आमंत्रित किया गया था। मूर्ति मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर भी रह चुके हैं।
जिनकी मेहनत और कुशल नेतृत्व के कारण पन्ना टाइगर रिजर्व में विलुप्त हो गए टाइगर को पुनः री-इंट्रोड्यूस कराया गया और बाघों की संख्या शून्य से आज लगभग 90 तक पहुंच गई है। मूर्ति ने एक्सिस्टिंग बाघों के संरक्षण और उनकी सतत मानिटरिंग के अलावा बायोटिक प्रेशर को कम करने की जरूरत बताई।
Achanakmar Tiger Reserve वहीं टाइगर री-इंट्रोडक्शन के लिए हैबिटेट इंप्रूवमेंट कर मानवीय दबाव को कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार एक स्वस्थ व्यक्ति की पहचान उनके शरीर के तापमान से हो जाती है। उसी तरह एक बेहतर फारेस्ट की पहचान, वहा टाइगर की उपस्थिति से की जा सकती है। इसीलिए टाइगर को की-स्टोन स्पेसिस कहा जाता है।
कार्यशाला में अचानकमार टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर मनोज पांडेय, डिप्टी डायरेक्टर यूआर गणेश, सहायक संचालक के अलावा कोर व बफर के सभी परिक्षेत्र अधिकारी उपस्थित रहे।
पन्ना की तरह प्रेरित करें
इस कार्यशाला में वन विभाग के वाइल्ड लाइफ एपीसीसीएफ प्रेम कुमार भी उपस्थित थे। उन्होंने टाइगर के संरक्षण और री-इंट्रोडक्शन के लिए सभी अधिकारी व कर्मचारियों को समझाइश दी और पन्ना टाइगर रिजर्व के अनुरूप समुदाय से बाघों की संरक्षण की दिशा में बढ़ने प्रेरित किया गया। इसके लिए मुख्यालय स्तर पर हर तरह की मदद भी दी जाएगी।