Nirjala or Bhimseni Ekadashi : निर्जला या भीमसेनी एकादशी 17 और 18 जून दोनों दिन है
Nirjala or Bhimseni Ekadashi : एकादशी व्रत में द्वादशी तिथि के समापन का विचार करते हैं क्योंकि व्रत का पारण द्वादशी के समापन से पूर्व होता है। कहने का अर्थ यह है कि हरि वासर के समय में एकादशी का पारण वर्जित है। द्वादशी तिथि के प्रथम चरण के बीतने के बाद ही पारण होता है।
अब द्वादशी तिथि 18 जून को 07:24 ए एम से शुरू होकर 19 जून को 07:28 ए एम पर खत्म होगी। ऐसे में निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून को रखना सही होगा और इसका पारण 19 जून को द्वादशी तिथि के समापन समय 07:28 ए एम से पूर्व कर लेना होगा।
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नोट :- जिन्हें एकादशी व्रत 17 को रखने का विचार है वो अवश्य रखें क्योंकि सबसे बड़ी चीज श्रद्धा होती हैं।