Extreme heat प्रचंड गर्मी में पशु पक्षियों की मदद को आगे आयें : डॉ.चौहान
Extreme heat इटावा ! नामचीन पर्यावरणीय और सोसाइटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर संस्था के महासचिव डॉ. राजीव चौहान ने गर्मी के तल्ख तेवरों से परेशान पशु पंक्षियों की मदद की अपील लोगों से की है।
उन्होने कहा कि भीषण गर्मी में तालाब, नहरे, झीले और बंंबा आदि के बड़े पैमाने पर सूखने से हर और त्राहि त्राहि मची हुई है,पशु पक्षी खासी तादात में परेशान बने हुए है। इसलिए आम जन पशु पक्षियों के पानी के इंतजाम में जुट जाएं।
डा चौहान ने कहा कि मौसम की तीव्रता और जलवायु की चरम सीमा हमारे रोजमर्रा के जीवन में जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक दिखाई देने वाला प्रभाव है। यह हमारी दुनिया के परिदृश्य में भी खतरनाक बदलाव ला रहा है, तापमान वृद्धि को भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर अलग-अलग परिभाषित किया जाता है।
Extreme heat उन्होंने मौसम विभाग की रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा होने पर उसे तापमान वृद्धि माना जाता है। वहीं, तटीय इलाकों में अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस या ज्यादा होने पर तथा पहाड़ी इलाकों में यही आंकड़ा 30 डिग्री सेल्सियस या अधिक होना है।
Renowned environmental organization and Society for Conservation of Nature
Extreme heat डा चौहान ने कहा कि भारत में तापमान वृद्धि की परिस्थितियां आमतौर पर मार्च और जुलाई के बीच महसूस की जाती हैं। वहीं, भीषण तापमान वृद्धि अप्रैल से जून के बीच होती है।
भारत का उत्तरी हिस्सा गर्मी के मौसम दौरान तपती और भीषण गर्मी के लिए जाना जाता है। भारत के मौसम विभाग के अनुसार इस बार सामान्य तापमान लगातार बढ़ा हुआ था और अधिकतम तापमान भी 43 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है। जलवायु परिवर्तन गंभीर गर्मी की लहरें ला रहा है जो देश के कई हिस्सो में अत्यधिक गर्मी का अहसास करा रही है।
उन्होने कहा कि तापमान वृद्धि प्राथमिक तौर पर उत्तर पश्चिमी भारत के मैदानों, मध्य और पूर्वी क्षेत्र और भारत के पठारी क्षेत्र के उत्तर हिस्से को प्रभावित करती है। पिछले कुछ सालों में भारत में तापमान वृद्धि की घटनाएं ज्यादा बढ गई हैं। साल 2019 में तापमान वृद्धि का असर 23 राज्यों में हुआ जबकि 2018 में 18 राज्य प्रभावित हुए थे।
चौहान ने बताया कि पूर्व के वर्षो में बहुत से पशु पक्षियों की मृत्यु इसी तापमान वृद्धि के चलते हो चुकी है जिसमें सबसे ज्यादा राष्ट्रीय पक्षी मोर, तोता एवं मैंना प्रभावित हुए थे इस बार भी कुछ ऐसी ही संभावनाएं नजर आ रही हैं| सर्वेक्षण के दौरान देखा गया है कि अधिकतर तालाब, झील, नहरे व बंबा सूखे पड़े हुए हैं पानी की किल्लत बहुत ज्यादा है खेतों में फसल नहीं है जिस कारण पानी की कमी एक समस्या बन गई है ,जिससे वन्यजीव प्रजातियों और उनके आवासों पर तनाव बढ़ रहा है|
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उन्होने आम जनों एवं किसानों से अनुरोध किया है कि आप अपने ट्यूबवेल व उनसे जुड़ी नालियों में पानी की उपलब्धता गर्मी के दिनों में बनाएं रहे यदि कोई बाग आपके आसपास है तो उसमें भी पानी की उपलब्धता बनाए रखे।